छुट्टी होने के बावजूद अर्नब गोस्वामी की जमानत अर्जी पर तत्काल सुनवाई क्यों?

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठ ने कई घंटों की सुनवाई के बाद रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी सहित तीन लोगों को अंतरिम जमानत दे दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी की जमानत अर्जी को खारिज करने के मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले को गलत बताया है। 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर अगले ही दिन यानी 11 नवंबर को सुनवाई हुई। खास बात यह है कि, इस दौरान कोर्ट में दिवाली की छुट्टी चल रही है। फिर छुट्टी होने के बावजूद इस जमानत अर्जी पर तत्काल सुनवाई क्यों? ऐसा सवाल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने उपस्थित किया है।

अर्नब मामले को प्राथमिकता देने का आरोप

छुट्टी के दौरान इस प्रकार कि तत्काल सुनवाई पर आपत्ति जताते हुए दवे ने कोर्ट के सचिव को पत्र लिखा है। दवे ने ‘सिलेक्टिव लिस्टिंग’ यानि अदालत के समक्ष लंबित अन्य मामलों से इस मामले को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया गया है।

यह कोर्ट की प्रतिष्ठा का सवाल है  

बीबीसी से बात करते हुए, दवे ने कहा, “इस पत्र का उद्देश्य किसी एक व्यक्ति के खिलाफ बोलना नहीं है, बल्कि आम नागरिकों के उचित अधिकारों का मुद्दा उठाना है।” उन्होंने कहा, यह कोर्ट की प्रतिष्ठा का सवाल है। किसी भी नागरिक को यह नहीं लगना चाहिए कि, हम दूसरे दर्जे के हैं। सभी को जमानत और तत्काल सुनवाई का अधिकार होना चाहिए, न कि केवल कुछ उच्च प्रोफ़ाइल मामलों और वकीलों के लिए।”

छुट्टी के दौरान किन मामलों पर सुनवाई हो सकती है?

– सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी के दौरान मुख्य न्यायाधीश एक या अधिक न्यायाधीशों के ‘वेकेशन बेंच’ की नियुक्त कर सकते हैं।

– इस पीठ के सामने बहुत जरूरी मामलों की सुनवाई की जा सकता है।

– सुप्रीम कोर्ट की हैंडबुक के अनुसार, जिन मामलों में मौत की सजा दी गई है। 

– हेबियस कॉर्पस याचिका

– रियल एस्टेट विध्वंस के मामले 

– जनहित के मुद्दे

– जमानत अर्जी खारिज करने या अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज करने के खिलाफ दायर किए गए आवेदनों को अत्यावश्यक मामले माना जाता है।

– इसके अलावा, मुख्य न्यायाधीश अपने क्षेत्राधिकार में अन्य मामलों की सुनवाई भी तत्काल कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार 1 नवंबर 2020 तक कोर्ट में 63,693 मामले लंबित थे। राज्यसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि, “पिछले दो वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में मामलों को पूरा करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।” 2017 में 13,850 मामलों की सुनवाई हुई थी। 2018 में 43,363 और 2019 में 45,787 मामलों की सुनवाई की गई। हालांकि इस वर्ष कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन से कोर्ट का कामकाज प्रभावित हुआ।