Electricity Amendment Bill can be introduced in the monsoon session of Parliament
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मुंबई. शिवसेना (Shivsena) ने सोमवार को सवाल किया कि क्या लोकसभा (Loksabha) और राज्यसभा (Rajyasabha) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन (China) की आक्रामकता, कोविड-19 महामारी (Covid-19 pandemic) और बेरोजगोरी (Unemployment) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा होगी। उल्लेखनीय है कि संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हुआ है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में लिखा है कि कोविड-19 राज्यों में कहर बरपा रहा है और कोरोना वायरस महामारी का कोई अंत दिखायी नहीं देता जबकि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर आक्रामक रुख अपनाया हुआ है। सोमवार को प्रकाशित ‘सामना’ में लिखा है कि साथ ही पाकिस्तानी भी कश्मीर में सरेआम ‘गुप्त सर्जिकल स्ट्राइक’ करने लगे हैं। संपादकीय में लिखा है कि ‘‘देश की अर्थव्यवस्था के बारह बजे हैं और 2016 में नोटबंदी के चलते करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए और अब कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन…. ।”

संपादकीय में सवाल किया गया है, ‘‘क्या इन मुद्दों पर (संसद के) दोनों सदनों में एक गंभीर चर्चा होगी।” उद्धव ठाकरे नीत पार्टी एवं संसद में विपक्षी दल शिवसेना का दावा है कि देश की सुरक्षा और लोगों की आजीविका से जुड़े मुद्दों को छुपाने के लिए गैर मुद्दों को रेखांकित किया जा रहा है। पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘यह लोगों के साथ धोखेबाजी है। यह सब चीन के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है। महंगाई, बेरोजगारी मानो समस्या ही नहीं है, बल्कि गली-कूचे की समस्या ही आज राष्ट्रीय समस्या बन गई है। ऐसा माहौल सरकारी पार्टी की साइबर फौज तैयार कर रही है।” शिवसेना ने सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा पर हुए हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘‘इस महान राष्ट्रीय कार्य (गैर मुद्दों को रेखांकित करने) को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई का चुनाव जानबूझकर किया गया है।” शिवसेना ने शर्मा पर हुए हमले की निंदा की लेकिन सवाल किया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के संदर्भ में आपत्तिजनक व्यंग्य चित्र सोशल मीडिया पर साझा करके उन्हें क्या हासिल हुआ?

शिवसेना ने सवाल किया, ‘‘आपको क्या नौसेना में रहते हुए यह नहीं सिखाया गया कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का सम्मान करें ?” सामना के संपादकीय में लिखा है कि ताज्जुब यह है कि पिछले सप्ताह इस घटना के बाद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्व नौसेना अधिकारी से फोन पर बात की। इसमें लिखा है, ‘‘चीन की सीमा पर 20 जवान शहीद हुए। उनकी हत्या का बदला अभी तक नहीं लिया गया। चीन की मुंहजोरी जारी है। यह जो पूर्व नौसेना अधिकारी हैं उन पर हुए हमले के विरोध में भाजपा ने सड़क पर उतरकर आंदोलन किया। अब इस पूर्व नौसेना अधिकारी ने मुख्यमंत्री ठाकरे के इस्तीफे की मांग की है।” शिवसेना ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के इस्तीफे मांगने चाहिए थे, ‘‘जो 20 जवानों की जान जाने के लिए जिम्मेदार हैं।”

सामना के संपादकीय में व्यंग्य करते हुए लिखा गया है कि ‘‘फिलहाल हमारे देश में जो कुछ अनाप-शनाप हरकतें हो रही हैं, उसे देखते हुए ओलंपिक में बच्चों के खेल का (अगर कोई ऐसी श्रेणी बनाई जाती है तो) कोई स्वर्ण पदक अवश्य ही मिल जाएगा।” इसमें लिखा है कि जलगांव के भाजपा सांसद उन्मेष पाटील के समर्थकों ने पूर्व में एक भूतपूर्व सैनिक पर हमला किया था लेकिन राजग का प्रमुख घटक दल उस समय सड़क पर नहीं उतरा। संपादकीय में लिखा है कि उस मोहम्मद अखलाक का पुत्र भी सुरक्षा बल में सेवा कर रहा है जिसकी पांच वर्ष पहले उत्तर प्रदेश के दादरी में पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। शिवसेना ने आरोप लगाया, ‘‘क्योंकि यह सब व्यर्थ गतिविधियां उन्होंने सिर्फ महाराष्ट्र के लिए ही सुरक्षित रखी हैं।”

शिवसेना ने अभिनेत्री कंगना रनौत का नाम लिये बिना कहा कि एक अभिनेत्री ने मुंबई का, मुंबई पुलिस का अपमान किया इसलिए नाराजगी व्यक्त की गई। शिवसेना ने कहा, ‘‘लेकिन उसे (नाराजगी को) धमकी मानकर उसे ‘वाई प्लस’ सुरक्षा हिमाचल प्रदेश एवं केंद्र सरकार ने दी…क्या तत्परता रही।” रनौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से की थी और कहा था कि उन्हें कथित फिल्म माफिया से अधिक डर शहर की पुलिस से लगता है। शिवसेना ने हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक विवाहित महिला से सामूहिक बलात्कार की मीडिया में आयी खबरों को लेकर निशाना साधते हुए सवाल किया कि राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीड़िता को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया क्यों नहीं करायी ? उसने कहा, ‘‘इस पर राष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।” (एजेंसी)