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    नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को कहा कि पिछले तीन साल के दौरान पुलिस हिरासत में 348 लोगों जबकि न्यायिक हिरासत में 5221 लोगों की मौत हो गयी। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।

    उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 2018 से 2020 के दौरान 23 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हो गई,  जबकि न्यायिक हिरासत में 1295 लोगों की मौत हो गई। राय ने बताया कि मध्य प्रदेश में इस अवधि के दौरान 34 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुयी जबकि महाराष्ट्र में यह संख्या 27 और गुजरात में 42 थी।

    राय ने कहा कि “पुलिस और लोक व्यवस्था” राज्य के विषय हैं। मानवाधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समय-समय पर परामर्श जारी करते हैं। इसके अलावा, आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत, पुलिस हिरासत अथवा न्यायिक हिरासत में, प्राकृतिक अथवा किसी भी प्रकार की हुई प्रत्येक मौत की सूचना घटना के 24 घंटे के भीतर आयोग को दी जानी होती है। 

    उन्होंने कहा कि यदि आयोग द्वारा पुलिस हिरासत या न्यायिक हिरासत में हुई मौत की जांच में किसी लोक सेवक की लापरवाही का खुलासा होता है, तो आयोग दोषी लोक सेवक के विरुद्ध मुकदमा चलाने की कार्यवाही शुरू करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों के प्राधिकारियों को सिफारिशें करता है।