नई दिल्ली: देश में नोटबंदी को आज पांच साल (5 Years of Demonetisation) पूरे हो गए। आज ही के दिन साल 2016 में रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में नोटबंदी का ऐलान किया था। मोदी के इस ऐलान के बाद ही उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से बाहर हो गए थे। नोटबंदी को लेकर विपक्ष समय-समय पर केंद्र और पीएम मोदी को घेरता रहा है। नोटबंदी से डिजिटल ट्रांजैक्शन में बड़ी तेजी आयी है।
ज्ञात हो कि नोटबंदी के बाद पांच सालों के बाद भारत में करेंसी नोटों का चलन बढ़ा है। साथ ही डिजिटल पेमेंट भी तेजी से बढ़ा है। देश में लोग कैशलेश पेमेंट विकल्प को तेजी से अपना रहे हैं। नोटबंदी के फैसले के बाद 500-1000 के नोट को बंद किया गया था। फिर कुछ दिनों बाद 500 और 2000 के नोट को सरकार ने जारी किया। फिर 200 रुपये का भी नोट शुरू किया गया।इस फैसले के बाद देश में कई दिनों तक अफरा-तफरी का माहौल था।
गौर हो कि देश में नोटबंदी के बाद पुराने नोट को बदलने और नए नोट के लिए बैंकों में लंबी लाइन में लगना पड़ा था। जिसके चलते कई जगहों पर लोगों की जान भी चली गई थी। हालांकि सरकार की तरफ से लगातार कहा गया की इससे काला धन खत्म हो जाएगा और नकदी का चलन बढ़ेगा।
वहीं एक एजेंसी की रिपोर्ट की मानें तो देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में बढ़त हुई है। क्रेडिट-डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सभी तरीकों से डिजिटल लेन-देन में बढ़त हुई है। वैसे यूपीआई की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। बात अगर अक्टूबर 2021 तक की करें तो इसमें करीब 7.71 लाख करोड़ रुपये मूल्य का लेनदेन किया गया है।