हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने हालांकि हमेशा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता। सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘‘संबंध” होने के कारण पीएफआई और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर बुधवार को पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया।
इस बीच तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पीएफआई पर केंद्र के प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा ‘‘समय पर की गई कार्रवाई” यह सुनिश्चित करेगी कि विभाजनकारी ताकतें सामाजिक संगठनों की आड़ में राष्ट्रीय नेटवर्क का निर्माण नहीं कर पाये।
While I’ve always opposed PFI’s extreme & radical approach, I’ve always supported the democratic approach. This ban on PFI can’t be supported as the actions of some individuals who commit crimes doesn’t mean that the organization itself must be banned: AIMIM Chief A. Owaisi pic.twitter.com/nCrKgzkx5e
— ANI (@ANI) September 28, 2022
ओवैसी ने कई ट्वीट में कहा, ‘‘मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है।” उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। जिस तरह से भारत की ‘चुनावी निरंकुशता’ फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के ‘काले’ कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा।”
AIMIM Chief, Asaduddin Owaisi says “PFI ban cannot be supported,” also adds, “Actions of some individuals who commit a crime does not mean that the organisation itself must be banned” pic.twitter.com/218wc81njN
— ANI (@ANI) September 28, 2022
तेलंगाना में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता के. कृष्णा सागर राव ने आरोप लगाया कि गैर-भाजपा राज्य सरकारों ने वर्षों से ‘‘अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की अपनी राजनीतिक मजबूरी के चलते” पीएफआई जैसे खतरनाक संगठनों को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित होने दिया है।
उन्होंने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार ही राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में पीएफआई और उससे जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगाने जैसी निर्णायक कार्रवाई कर सकती है। राव ने कहा, ‘‘मोदी सरकार द्वारा समय पर की गई यह कार्रवाई इस बात को सुनिश्चित करेगी कि भारत में सांप्रदायिक और धार्मिक वैमनस्य पैदा करने संबंधी उनके घृणित एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए विभाजनकारी ताकतें सामाजिक संगठनों की आड़ में राष्ट्र्व्यापी नेटवर्क का निर्माण न करें।” (एजेंसी)