एशिया की पहली महिला लोको पायलट ने चलाई वंदे भारत एक्सप्रेस, जानिए ‘सुरेखा यादव’ के बारे में

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मुंबई : आज भारत की महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। देश-विदेश में भारतीय महिलाओं की क्षमता को पहचानते हुए उन्हें सम्मानजनक पदों की जिम्मेदारी दी जा रही है। यह भी कहा जाता है कि महिलाएं अब पुरुषों से आगे निकल गई हैं। आज की महिलाएं हर काम कर सकती हैं। महिलाएं आसमान में प्लेन उड़ाने से लेकर पटरियों पर ट्रेन चलाने तक में सक्षम हैं। ऐसी ही सफल महिलाओं में सुरेखा यादव (Surekha Yadav) शामिल हैं। सुरेखा यादव लोको पायलट (Loco Pilot) बनने वाली पहली भारतीय महिला हैं। सुरेखा यादव पूरे एशिया (Asia) की पहली लोको पायलट हैं।

एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव ने आज वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) को सोलापुर से सीएसएमटी तक चलाया। उन्होंने 13.3.2023 को सोलापुर-सीएसएमटी वंदे भारत एक्सप्रेस को चलाने वाली पहली महिला बनी। वंदे भारत एक्सप्रेस लोको पायलट बनकर मध्य रेल के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय जोड़ दिया है। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर सुरेखा यादव का स्वागत किया गया।

वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने वाली पहली महिला लोको पायलट

सुरेखा यादव ने कहा कि मुझे नए दौर की अत्याधुनिक तकनीक से लैस वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने का मौका देने के लिए मैं आभार व्यक्त करती हूं। ट्रेन समय पर सोलापुर से रवाना हुई और समय से 5 मिनट पहले सीएसएमटी पहुंची। उन्होंने आगे कहा कि ट्रेन चलाना सीखने की प्रक्रिया में निम्नलिखित सिग्नल शामिल हैं, नए उपकरणों के साथ हाथ मिलाना, चालक दल के अन्य सदस्यों के साथ समन्वय करना, ट्रेन चलाने के लिए सभी मापदंडों का पालन करना।

1988 में भारत की पहली महिला लोको पायलट बनीं

एशिया की पहली महिला लोको पायलट सुरेखा यादव का जन्म महाराष्ट्र के सातारा में 2 सितंबर 1965 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सतारा स्थित सेंट पॉल कॉन्वेंट हाई स्कूल से की। आगे की पढ़ाई के लिए सुरेखा ने वोकेशनल ट्रेनिंग कोर्स किया और बाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया। 1988 में भारत की पहली महिला लोको पायलट बनीं और उनकी उपलब्धियों के लिए, उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।