Himanta Biswa Sarma
असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा

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    नई दिल्ली: असम (Assam) के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (CM Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि उनकी पार्टी मुस्लिम पुरुषों (Muslim Men) के एक से ज्यादा पत्नियां रखने के खिलाफ है। हेमंत बिस्वा सरमा ने लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल पर निशाना साधते हुए यह बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एआईयूडीएफ प्रमुख की सलाह के मुताबिक, ‘महिलाएं 20 से 25 बच्चों को जन्म दे सकती हैं। लेकिन भविष्य में  उनके भोजन, कपड़े और शिक्षा पर होने वाला सारा खर्च विपक्षी नेता को करना होगा।

    हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, “स्वतंत्र भारत में रहने वाले किसी भी पुरुष को तीन से चार महिलाओं (अपनी पत्नी को तलाक दिए बिना) से शादी करने का अधिकार नहीं है। हम इस प्रथा को बदलना चाहते हैं। हमें मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम करना होगा।”

    उन्होंने आगे कहा कि, हम ‘सबका साथ, सबका विकास’ चाहते हैं। अगर असम के हिंदू परिवारों में डॉक्टर हैं, तो मुस्लिम परिवारों से भी डॉक्टर होने चाहिए। “कई विधायक ऐसी सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि वे केवल ‘पोमुवा मुसलमानों’ से वोट चाहते हैं।” पूर्वी बंगाल या वर्तमान बांग्लादेश के बंगाली भाषी मुसलमानों को असम में ‘पोमुवा मुसलमान’ कहा जाता है।

    महिलाओं पर अजमल की विवादित टिप्पणी पर उन्होंने कहा, ‘असम में हमारे पास बदरुद्दीन अजमल जैसे कुछ नेता हैं। उनके अनुसार महिलाएं उपजाऊ मिट्टी की तरह होती हैं इसलिए उन्हें तुरंत बच्चों को जन्म देना चाहिए। लेकिन स्त्री को जन्म देने की प्रक्रिया की तुलना कृषि से नहीं की जा सकती।”

    उन्होंने आगे कहा, “मैंने बार-बार कहा है कि हमारी महिलाएं 20 से 25 बच्चों को जन्म दे सकती हैं। लेकिन अजमल को उनके भोजन, कपड़े, शिक्षा और अन्य सभी खर्चों का भुगतान करना होगा। अगर ऐसा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन अगर वे उन बच्चों का खर्चा उठाने को तैयार नहीं हैं तो उन्हें बच्चे के जन्म पर व्याख्यान नहीं देना चाहिए।”

    उन्होंने यह भी सलाह दी कि, “हमें उतने ही बच्चों को जन्म देना चाहिए, जितने की हम देखभाल कर सकें।” उन्होंने कहा कि उन्हें एक अच्छा इंसान बनाने के लिए अच्छा खाना, कपड़ा और शिक्षा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।

    हेमंत सरमा ने कहा ने कहा कि, “हमारी सरकार की नीति स्पष्ट है। हम सबका विकास चाहते हैं। हम चाहते हैं कि मुस्लिम बच्चे सामान्य स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ें और डॉक्टर और इंजीनियर बनें।”