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    नयी दिल्ली.  दोपहर कि एक बड़ी खबर के अनुसार, जहाँ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 13 कंपनियों के ऋण बकाया के चलते  लगभग 2.85 लाख करोड़ रुपये का बड़ा नुकसान हुआ है, वहीं  केंद्र सरकार, यस बैंक और आईएल एंड एफएस जैसे संकटग्रस्त संस्थानों को उबारने का काम करते रहे हैं।  जी हाँ बैंकों के संघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने आज यानी सोमवार को यह बड़ा आरोप लगाया। 

    16 और 17 दिसंबर को रहेगी  बैंक स्ट्राइक 

    इधर UFBU के संयोजक बी रामबाबू ने एक प्रेस रिलीज में बतायाकि संगठन ने बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के विरोध में और सरकारी बैंकों के निजीकरण के केंद्र के कथित कदम का विरोध करते हुए आगामी 16 और 17 दिसंबर को पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है। UFBU  द्वारा दिए गए इन आंकड़ों के अनुसार, 13 निजी कंपनियों का बकाया 4,86,800 करोड़ रुपये था और इसे 1,61,820 करोड़ रुपये में किसी तरह निपटाया गया, जिसके परिणामस्वरूप देश को 2,84,980 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। 

    बताया गया बैड लोन 

    उन्होंने यह भी कहा कि, “यह भी एक सच्चाई है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का इस्तेमाल निजी क्षेत्र के संकटग्रस्त बैंकों जैसे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक, यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक, बैंक ऑफ कराड, आदि को राहत देने के लिए किया गया है। जैसे हाल के दिनों में, यस बैंक को सरकारी बैंक एसबीआई (SBI) ने संकट से निकाला।  इसी तरह निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी NBFC (गैर बैंकिंग वित्त कंपनी), आईएलएंडएफएस को सार्वजनिक क्षेत्र के SBIऔर LIC ने संकट से निकाला। “