Bengaluru Riots: कैसे एक छोटे से सोशल मीडिया पोस्ट ने मचाया उत्पात, जानें पूरी घटना…

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बंगलूरू. साल 2020 वैसे तो कोरोना (Corona) संक्रमण और संकट के लिए जाना जायेगा। लेकिन यह इस बात के लिए भी जाना जाएगा कि कैसे एक छोटी सी राजनितिक घटना ने बंगलूरू (Bengaluru Riots) में एक बड़े फसाद को जन्म दे दिया था। बात कर्नाटक की है जिसकी राजधानी बंगलूरू में मंगलवार 11 अगस्त की रात कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति (Shrinivas Murti) के भतीजे द्वारा कथित रूप से एक भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट डाला गया जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई। हालात इस कदर बिगड़े कि पुलिस को इसे काबू करने के लिए फायरिंग तक करने पर मजबूर होना पड़ा। 

इस पुलिस फायरिंग में जहाँ तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं, एक अन्य शख्स घायल हो गया, जिसे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। अगर हम खबरों को देखें तो इस हिंसा में करीब 50 से अधिक पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। यह पूरी घटना शहर के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाके में घटित हुई थी। इस घटने के बाद किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस ने इलाके में कर्फ्यू लगा दिया था। वहीं, राजधानी बंगलूरू में धारा 144 लगा दी गई थी।

क्या थी पूरी घटना:

इस पुरे घटनाक्रम की  शुरुआत हुई एक कथित भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट से, जिसे कांग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन ने पोस्ट किया था। हालांकि, बाद में स्थिति बिगड़ने पर इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी इस कथित भड़काऊ पोस्ट को लेकर बड़ी संख्या में उपद्रवियों ने विधायक श्रीनिवास मूर्ति के बंगलूरू स्थित आवास पर तोड़फोड़ की थी।

इस भड़काऊ पोस्ट के बाद उपद्रवियों की भीड़ उसी रात लगभग 9 बजे श्रीनिवास मूर्ति के घर और पूर्वी बंगलूरू के डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर एकत्र होने लगी। भारी भीड़ ने विधायक के घर पर तोड़फोड़ की और थाने को भी भारी नुकसान पहुंचाया था। इसके साथ ही वहां आगजनी की एक बड़ी घटना को भी अंजाम दिया गया था।

इसके बाद देखते-देखते रात 10 बजे तक माहौल इस कदर भयंकर और गंभीर हो गया कि उपद्रवियों की भीड़ ने विधायक के घर में तोड़फोड़ करने के गुस्से में बाद उसे आग के हवाले ही कर दिया था। इससे घर और बाहर खड़ीं लगभग 30 से ज्यादा गाड़ियों में भयंकर आग लग गई थी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और आक्रोशित भीड़ को समझाने की कोशिश की। लेकिन भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। साथ ही पुलिसकर्मियों की पिटाई भी की। इस घटना में 60 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। 

अब हालात बेकाबू होते देख रात 12 बजे पुलिस ने भी अपनी तरफ से फायरिंग की। इससे भीड़ तो तितर-बितर हो गई लेकिन इस पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत भी हुई थी। वहीं, पुलिस ने इस घटना के संबंध में 145 लोगों को हिरासत में लिया था। इस पूरे महौल को शांत होने में रात के 2 बज गए थे वहीं  फायरिंग और गिरफ्तारी के बाद उपद्रवी मौके से भाग खड़े हुए थे। इसके बाद प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए रात 3 बजे के बाद शहर में धारा 144 लागू कर दी थी। साथ ही डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था। इसके अलावा, रात में ही विधायक के भतीजे ने पोस्ट डिलीट कर दी थी  और पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया था। 

 

घटना और राजनीति:

इधर इस घटना के बाद राजनीतिक रंग भी खूब दिखे जहाँ कर्नाटक के गृह मंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा था कि, बंगलूरू के कुछ हिस्सों में उस रात हुयी हिंसा के पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) की भूमिका प्रकाश में आई है और इस संबंध में गहराई से जांच करायी जाएगी। वहीं उपमुख्यमंत्री सी एन अश्वथ नारायण ने यहाँ तक कहा था, कि उनकी सरकार एसडीपीआई (SDPI) को प्रतिबंधित करने पर विचार कर रही है, जिसके चार सदस्य उन लगभग 140 लोगों में शामिल है जिन्हें उस रात की हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।

  

इस पर कर्नाटक के सांस्कृतिक और पर्यटन मंत्री सी।टी।रवि ने कहा था कि, “दंगे की पहले से ही योजना बनाई गई थी। संपत्ति के विनाश में पेट्रोल बम और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। 300 से अधिक वाहन जल गए। हमारे पास संदिग्ध हैं लेकिन जांच के बाद ही पुष्टि हो सकती है। हम उत्तर प्रदेश जैसे दंगाइयों से संपत्ति की वसूली करेंगे।”

बंगलूरू में लगा UAPA:

इसके बाद येदियुरप्पा सारकार ने तय किया था कि केजी हल्ली और डीजी हल्ली में हिंसक घटनाओं में निजी और सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का आकलन कराने और दोषियों से ही इस नुकसान की भरपाई करने का फैसला किया। उनका कहना था कि, ‘‘डीजे हल्ली और केजी हल्ली में हिंसक घटनाओं के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है और (गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम)UAPA कानून भी लगाया जा रहा है।” 

NIA

वहीं 23 सितम्बर को देर रात को ही, बंगलूरू में हुए दंगों की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गुरुवार को 30 जगहों पर छापेमारी की थी। इसके साथ ही एजेंसी ने सैयद सादिक अली को गिरफ्तार किया था। NIA के अनुसार 44 वर्षीय सादिक अली ही दंगों का मुख्य साजिशकर्ता था। NIA के अनुसार  अली एक बैंक के वसूली एजेंट के रूप में काम करता था और वह बीते 11 अगस्त से फरार था। गौरतलब है कि बंगलूरू पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 65 मामले दर्ज किए थे और 350 से अधिक लोगों को गिरफ्तार भी किया था।