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    नयी दिल्ली. कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा, और नेट्टा डिसूजा ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनके परिवार द्वारा गोवा के रेस्तरां में कथित “स्वामित्व या उससे संबंध की बात स्वीकार करने” के आधार पर मंत्री के खिलाफ आरोप लगाए थे।

    ईरानी के मानहानि के मुकदमे के जवाब में दायर एक साझा लिखित बयान में कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने जनहित में ‘‘निष्पक्ष टिप्पणी” की और सत्ताधारी सरकार के सदस्यों को जवाबदेह बनाना विपक्ष का नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है। ईरानी ने अपने और अपनी 18 वर्षीय बेटी पर कथित रूप से निराधार और झूठे आरोप लगाने के लिए कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

    कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि यह मुकदमा “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” है और मंत्री ने जानबूझकर दस्तावेज, सूचनाओं और संबंध की बात को दबाया और मनगढ़ंत तथ्यों को अदालत के समक्ष पेश किया। बयान में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता कांग्रेस नेताओं द्वारा कोई पूर्व नियोजित साजिश को दिखाने में बुरी तरह विफल रही हैं।

    बयान के मुताबिक, “प्रतिवादियों (कांग्रेस नेताओं) ने वादी (ईरानी) द्वारा और उनके परिवार द्वारा रेस्तरां के स्वामित्व/उससे संबंध को स्वीकार करने के आधार पर उनके खिलाफ आरोप लगाए थे। ये जानकारी कई महीनों से सार्वजनिक हैं। यदि यह गलत हैं तो वादी ने इसे सही करने के लिए अभी तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया, बल्कि वादी ने सोशल मीडिया पोस्ट साझा कर सामग्री का समर्थन किया है।”

    उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई को मानहानि के दीवानी मुकदमे में कांग्रेस के तीन नेताओं को समन जारी किया था। साथ ही, उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों संबंधी ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा था। (एजेंसी)