UN expresses hope that tension will reduce on India-China border through dialogue
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    नयी दिल्ली. चीन ने क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की तैनाती के जवाब में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी ओर, ऊंचाई वाले कई अग्रिम क्षेत्रों में अपने जवानों के लिए नए मॉड्यूलर कंटेनर आधारित आवास (अस्थायी टेंट) स्थापित किए हैं। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

    उन्होंने कहा कि ये टेंट अन्य स्थानों के अलावा ताशीगोंग, मांजा, हॉट स्प्रिंग्स और चुरुप के पास लगाए गए हैं जो क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच तनाव को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पिछले साल इस क्षेत्र में अपने “दुस्साहस” पर भारतीय प्रतिक्रिया के प्रभाव को महसूस कर रही है और चीनी सेना को इस क्षेत्र में सैनिकों की लंबी तैनाती तथा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

    उन्होंने कहा कि पिछले साल चीनी कार्रवाई के बाद भारतीय प्रतिक्रिया, खासकर गलवान घाटी टकराव के बाद, ने पड़ोसी देश को हैरान कर दिया और उसने उन क्षेत्रों में सैनिकों को तैनात किया जहां पहले कभी तैनाती नहीं होती थी। उन लोगों में से एक ने कहा, “हमारी रणनीति उन्हें नुकसान पहुंचा रही है। वे हमारे जवाब पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हमने पीएलए को अग्रिम तैनाती तथा बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए मजबूर किया है।”

    उन्होंने कहा कि नयी तैनाती चीनी सैनिकों के मनोबल को प्रभावित करती दिख रही है क्योंकि उन्हें ऐसे दुर्गम क्षेत्र में काम करने की आदत नहीं थी। ये नए टेंट पिछले साल दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ने के बाद चीनी सेना द्वारा बनाए गए सैन्य शिविरों के अलावा बनाए गए हैं। लोगों ने कहा कि भारत पूर्वी लद्दाख और करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी के साथ लगे अन्य क्षेत्रों में सुरंगों, पुलों की सड़कों तथा अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है।

    उन्होंने कहा कि चीन पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास अपने वायु सेना ठिकानों तथा वायु रक्षा इकाइयों को भी बढ़ा रहा है। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक टकराव के बाद पिछले साल पांच मई को दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध शुरू हो गया था और दोनों देशों ने धीरे-धीरे भारी हथियारों के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी थी। (एजेंसी)