Gyanvapi Case Allahabad High Court decision is worship will continue in Vyas basement, Uttar Pradesh
Allahabad high court

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    प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक पीठ आगरा में स्थापित करने के संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री के हाल के बयान को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की एल्डर्स कमेटी ने इस बयान से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सोमवार को संघर्ष समिति गठित की।   

    हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजु ने आगरा में एक कार्यक्रम में कहा था कि केंद्र सरकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ताओं और वादकारों के लाभ के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक पीठ आगरा में स्थापित करने की संभावना तलाश रही है।     

    एल्डर्स कमेटी ने सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कानून मंत्री के बयान को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं, इस तरह के भ्रामक बयान राजनेताओं द्वारा दिए जाते हैं, जोकि एक विशेष जिले के मतदाताओं से अनुचित लाभ लेने के लिए राजनीतिक दांवपेंच के अलावा कुछ नहीं हैं।    इसके अलावा, यह आगरा और मेरठ के बार के बीच मतभेद पैदा करने का प्रयास है, क्योंकि मेरठ का बार लंबे समय से मेरठ में पीठ गठित करने की लड़ाई लड़ता रहा है।     

    कानून मंत्री के बयान को गंभीरता से लेते हुए कमेटी ने कहा, ‘‘केंद्रीय कानून मंत्री को यह पता होना चाहिए कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति के बगैर इस तरह का कोई भी प्रस्ताव पेश नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय कानून मंत्री का पद संभाल रहे व्यक्ति को इस कानूनी स्थिति की जानकारी होनी चाहिए।”     

      विज्ञप्ति के मुताबिक, पहले दिन से ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का यह सतत मत रहा है कि जहां तक उत्तर प्रदेश का संबंध है, पीठ के गठन की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि लखनऊ में पहले से ही एक पीठ है, खासकर तब जब उत्तर प्रदेश से पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर बनाए गए राज्य उत्तराखंड के नैनीताल में एक उच्च न्यायालय स्थापित किया गया है।  (एजेंसी)