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    नई दिल्ली. जहाँ एक तरफ देश (India) फिलहाल कोरोना (Corona) कि तीसरी लहर (Third Wave) से गुजर रहा है और इसका नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) अब सामुदायिक स्तर पर प्रसार (Community Spread) कर रहा है। लेकिन शायद जिसे हम स्वीकार नहीं कर रहे हैं।हालाँकि आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि ओमिक्रॉन मामले भारत के कुल कोविड मामलों के 2 % से भी कम हैं। लेकिन यह स्थिति थोड़ी और जटिल हो सकती है।  जी हाँ ‘ओमिक्रॉन’ जल्द ही देश में बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। 

    क्या है देश का हाल 

    बात कि जाए देश कि तो फिलहाल देश में  बीते 24 घंटों के भीतर देश में 32 हजार से ज्यादा केस देखे गए हैं  और वहीं 116 मौतें हुई हैं। इसके साथ ही साथ ही 10 हजार से ज्यादा मरीज ठीक भी हुए हैं। गौरतलब है कि भारत में ओमिक्रॉन के अब तक 1700 केस मिले हैं। लेकिन अब शायद यह जल्द ही 10 गुना से अधिक हो सकते हैं।

    क्या हैं महाराष्ट्र के हाल:

    इसी तरह अगर महाराष्ट्र कि बात की जाए तो  बीते रविवार को कोरोना संक्रमण के 11 हजार 877 नए मामले सामने आए जो एक दिन पहले आए मामलों से 2707 अधिक हैं। इसके साथ ही, यहाँ ओमिक्रोन के 50 मामले भी सामने आए हैं । 

    वहीं अगर मुंबई महानगरपालिका कि मानें तो संक्रमण के 8,063 नए मामले आए हैं। मुंबई क्षेत्र में संक्रमण के 10,394 मामले आए जो राज्य में संक्रमण के कुल मामलों का लगभग 90% है। BMC के आंकड़ों के अनुसार, शहर में बीते 27 दिसंबर को 809 मामले आए थे जिसका मतलब है कि रविवार तक संक्रमण के मामलों में लगभग 10%वृद्धि हुई है। बीते शनिवार को भी महाराष्ट्र में कोरोना के 9,170 नए मामले आए थे।

    क्यों दिख रहे संक्रमण के मामले कम 

    लेकिन यह आंकडें बढ़ भी तो सकते हैं। वैसे आपको बता दें कि यह आधिकारिक संख्या इतनी कम है क्योंकि देश में अभी  बहुत कम परीक्षण सुविधाएं या प्रयोगशालाएं हैं जो जीनोम अनुक्रमण की जांच कर सकती हैं जो कि ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए जरुरी और आवश्यक है। 

    लेकिन सबसे ज्यादा  चिंताजनक तथ्य यह है कि ओमिक्रॉन के मामले डेल्टा की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। हालाँकि इस दौरान डेल्टा वैरिएंट की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट देखि गयी है, जिससे ओमिक्रॉन अब शायद भारत में प्रमुख वैरिएंट बन गया है।

    ओमिक्रॉन: भारत के लिए क्या अच्छा और क्या बुरा 

    वैसे देखा जाए तो यह भारत के लिए अच्छी और बुरी खबर दोनों ही है। इसमें अच्छा यह कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम गंभीर संक्रामक है। वहीं डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कि मृत्यु डर काफी कम देखी गयी है। लेकिन इसमें चिंता वाली बात यह है कि ओमिक्रॉन बहुत तेजी से फैलता है और यह डेल्टा वैरिएंट की तुलना में चार से पांच गुना अधिक संक्रामक होने का भी अनुमान है।

    इससे जो एक बड़ा तथ्य सामने आकर खड़ा हो रहा है वह यह है कि, यदि ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत की तीसरी लहर में तेज होती है, जैसे कि दुनिया के बाकी हिस्सों में है, तो भारत में 4 लाख डेल्टा मामलों की तुलना में भारत में हर दिन 16 लाख से 20 लाख मामले अपने चरम पर पहुंच सकते हैं। यानी हमारी दूसरी लहर का शिखर स्तर तक रोज।

    क्या बढेगा देश कि चिकित्सा प्रणाली पर दबाव 

    लेकिन अगर ऐसा हुआ तो यह हमारी चिकित्सा प्रणाली, अस्पताल के बिस्तर, ऑक्सीजन सिलेंडर, डॉक्टरों और दवाओं की उपलब्धता पर एक बड़ा असहनीय दबाव डालेगा। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भले ही ओमिक्रॉन के कुछ प्रतिशत मामलों में ही अस्पताल में भर्ती होने की संभावना है, लेकिन कुल मामलों और संक्रमणों की संख्या तो बहुत अधिक है।

    अब अगर डेल्टा के 100 में से छह मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती, और अगर ओमिक्रॉन इसका आधा भी है। तो आंकड़ों के अनुसार 100 में से 3 ओमाइक्रोन मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी। अब अगर इसके बड़े परिणामों पर एक नज़र डालें तो बीते दूसरी लहर में चार लाख डेल्टा मामलों में चरम पर पहुंच गई, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 24,000 लोग अस्पताल में भर्ती हुए। ऐसे में अब  ओमिक्रॉन में सबसे खराब स्थिति में, 20 लाख  मामलों की तीसरी लहर के शिखर में होने के चोटी के परिणामस्वरूप प्रति दिन 60,000 लोग ओमिक्रॉन के इलाज हेतु अस्पताल में भर्ती होंगे।  

    दूसरी लहर से क्या अधिक खतरनाक होगी तीसरी लहर 

    अब बात अगर चिकित्सा प्रणाली कि हो तो डेल्टा वैरिएंट द्वारा संचालित दूसरी लहर के दौरान भारत का चिकित्सीय ढांचा ब्रेकिंग पॉइंट के करीब ही था। अब ऐसे में संभावित रूप से ओमिक्रॉन के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की संख्या के लगभग तीन गुना के पास होगी, जिससे भारत एक बड़े स्वास्थ्य संकट में भी पड़ सकता है।

    वैसे भारत के लिए उम्मीद तो यह भी है कि ओमिक्रॉन लहर, हालांकि डेल्टा लहर से बहुत खराब है और यह लंबे समय तक नहीं रह सकती है। वहीं दक्षिण अफ्रीका के डेटा से यह साफ़ पता चलता है कि ओमिक्रॉन लहर  तेजी से बढ़ती हैं लेकिन डेल्टा लहर  की तुलना में यह जल्दी ख़त्म हो जाती हैं।लेकिन प्रश्न यह है कि देश कि मोदी सरकार और अन्य राज्य सरकारें इन सब कठिन परिस्तिथियों के लिए तैयार है। शायद अब जरुरी तैयारी और आत्ममंथन कि जरुरत है।