नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को क्षमताओं का पूरा लाभ उठाते हुए राज्य पुलिस बलों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया और प्रौद्योगिकी समाधान अपनाने के साथ-साथ पैदल गश्त जैसे पारंपरिक पुलिस तंत्र को बढ़ावा देने पर जोर दिया। पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के 57वें अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने अप्रचलित आपराधिक कानूनों को निरस्त करने, राज्यों में पुलिस संगठनों के लिए मानकों के निर्माण का सुझाव दिया।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, “प्रधानमंत्री ने क्षमताओं का लाभ उठाने और सर्वोत्तम तरीकों को साझा करने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया।”
बयान के मुताबिक, उन्होंने उन्होंने अधिकारियों द्वारा लगातार दौरे कर सीमा के साथ-साथ तटीय सुरक्षा को मजबूत करने पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने पुलिस बल को अधिक संवेदनशील बनाने और उन्हें उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया और एजेंसियों में डाटा विनिमय को सुचारू बनाने के लिए ‘राष्ट्रीय डाटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क’ के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि जहां पुलिस बल को बायोमेट्रिक्स आदि जैसे तकनीकी समाधानों का और अधिक लाभ उठाना चाहिए, वहीं पैदल गश्त जैसे पारंपरिक पुलिस तंत्र को और मजबूत करने की भी आवश्यकता है।
PM Modi also recommended repealing obsolete criminal laws & building standards for police organisations across states along with prison reforms to improve jail management. He discussed strengthening border & coastal security by organising frequent visits of officials.
— ANI (@ANI) January 22, 2023
मोदी ने जेल प्रबंधन में सुधार के लिए जेल सुधारों का भी समर्थन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने उभरती चुनौतियों पर चर्चा करने और अपनी टीम के बीच सर्वोत्तम तरीकों को विकसित करने के लिए राज्य और जिला स्तरों पर डीजीपी/आईजीपी सम्मेलनों के मॉडल को दोहराने का आह्वान किया।
सम्मेलन में पुलिस तंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया, जिसमें आतंकवाद रोधी, जवाबी कार्रवाई और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। तीन दिवसीय बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल सहित अन्य ने हिस्सा लिया। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हाइब्रिड मोड में विभिन्न स्तरों के लगभग 600 और अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया।
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान में पहले कहा गया था, “2014 से मोदी ने डीजीपी के सम्मेलन में गहरी दिलचस्पी ली है। पहले के प्रधानमंत्रियों की प्रतीकात्मक उपस्थिति के विपरीत, वह सम्मेलन के सभी प्रमुख सत्रों में हिस्सा लेते हैं।”
बयान में यह भी कहा गया था कि प्रधानमंत्री न केवल सभी सूचनाओं को धैर्यपूर्वक सुनते हैं, बल्कि स्वतंत्र और अनौपचारिक चर्चा को भी प्रोत्साहित करते हैं ताकि नए विचार सामने आ सकें। बयान में कहा गया था कि यह देश के शीर्ष पुलिस अधिकारियों को प्रधानमंत्री को प्रमुख पुलिसिंग और आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर सीधे जानकारी देने और खुली और स्पष्ट सिफारिशें देने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करता है।
एक अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर सम्मेलन में पुलिसिंग और सुरक्षा में भविष्य के विषयों पर चर्चा शुरू हुई। तीन दिवसीय बैठक में नेपाल और म्यांमा के साथ भूमि सीमाओं पर सुरक्षा चुनौतियों, भारत में लंबे समय तक रहने वाले विदेशियों की पहचान करने की रणनीति और माओवादी गढ़ों को लक्षित करने जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
मोदी ने विशिष्ट सेवाओं के लिए पुलिस पदक भी वितरित किए। वार्षिक बैठक 2013 तक नयी दिल्ली में आयोजित की गई थी। अगले साल जब मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई तो राष्ट्रीय राजधानी के बाहर गृह मंत्रालय और खुफिया ब्यूरो के कार्यक्रमों को आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस बार सम्मेलन का आयोजन दिल्ली के पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में किया गया। इससे पहले, राष्ट्रीय राजधानी में बैठक का स्थान विज्ञान भवन हुआ करता था। (एजेंसी)