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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrchud) ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव न्यायपालिका (Judiciary) को लेकर कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने कोर्ट में लंबित मामलों भी जिक्र किया। सीजेआई ने कहा, हमारे पास मामलों का एक बड़ा बैकलॉग है और यह लोगों के विश्वास को भी दर्शाता है। चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला न्यायपालिका में बुनियादी ढांचे की भी कमी है, जिसमें सुधार की जरूरत हैं। 

कानून मंत्री के साथ मुद्दों में नहीं उलझना चाहता हूं, हमारी धारणाओं में अंतर

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘एक जज के रूप में, मेरे 23 सालों के करियर में किसी ने मुझे यह नहीं बताया कि किसी केस का फैसला कैसे किया जाए।’ केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू से संबंधित पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा कि मैं कानून मंत्री के साथ मुद्दों में नहीं उलझना चाहता हूं, हमारी धारणाओं में अंतर है। सीजेआई ने कहा कि सरकार की ओर से न्यायपालिका पर कोई दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग (EC) का फैसला इस बात का सबूत है कि न्यायपालिका पर कोई दबाव नहीं है। 

कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ रीजीजू काफी मुखर रहे हैं और वह एक बार इसे ‘संविधान के परे’ की चीज बता चुके हैं।  न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि उन पर सरकार से इस बात के लिये कोई दबाव नहीं है कि मामलों में किस तरह से निर्णय लिया जाये।

‘भारतीय न्यायपालिका के आधुनिकीकरण की जरूरत’ 

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हमें भारतीय न्यायपालिका को आधुनिक बनाने की जरूरत है, हमारा मॉडल अंग्रेजों से विरासत में मिले औपनिवेशिक मॉडल पर आधारित है। न्याय केवल एक संप्रभु कार्य नहीं है। अगले 50-75 वर्षों में हमें भारतीय न्यायपालिका को आधुनिक तकनीक से लैस करना होगा। महामारी में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर हमने जिस तरह का काम किया, वह दुनिया के किसी भी हिस्से में अभूतपूर्व है।’

उल्लेखनीय है कि, उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में फैसला दिया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सलाह पर की जाएगी जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और देश के प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे।