Appointment of new vice-chancellors and vice-chancellors in four universities of Jharkhand

    Loading

    नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। भाजपा नीत एनडीए ने झारखण्ड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने मुर्मू के नाम का ऐलान किया। 

    देश की सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रपति होंगी Draupadi Murmu

    मुर्मू के नाम का ऐलान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट कर लिखा, “श्रीमती द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) जी ने अपना जीवन समाज की सेवा और गरीबों, दलितों के साथ-साथ हाशिए के लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित कर दिया है। उनके पास समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है और उनका कार्यकाल उत्कृष्ट रहा है। मुझे विश्वास है कि वह हमारे देश की एक महान राष्ट्रपति होंगी।”

    प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, “लाखों लोग, विशेष रूप से वे जिन्होंने गरीबी का अनुभव किया है और कठिनाइयों का सामना किया है, श्रीमती के जीवन से बड़ी शक्ति प्राप्त करते हैं। द्रौपदी मुर्मू जी। नीतिगत मामलों की उनकी समझ और दयालु स्वभाव से हमारे देश को बहुत लाभ होगा।”

    चुनाव में होगा यशवंत सिन्हा से मुकाबला 

    18 जुलाई को होने वाले चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार पूर्व विदेशमंत्री यशवंत सिन्हा से होगा। मंगलवार को संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के लिए एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में सिन्हा के नाम पर सहमति बनी और संयुक्त प्रेसकॉन्फ्रेंस कर उनके नाम का ऐलान किया।

    कौन है द्रौपदी मुर्मू?

    द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरगंज में हुआ। वो वर्ष 2000 से 2004 तक ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर से विधायक रही। वहीं भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार की राज्य मंत्री तथा 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री रहीं।इसी के साथ तथा राज्य सरकार में मंत्री भी रहीं।

    देश की पहली आदिवासी राज्यपाल

    केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद मुर्मू को 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल बनाया गया। आजाद भारत में यह पहला मौका था, जब किसी आदिवासी महिला को किसी राज्य का राज्यपाल बनाया गया। इसी के साथ वह झारखंड की सबसे लंबे समय तक राज्यपाल रहीं। उनका कार्यकाल करीब छह साल और 16 दिन तक चला।