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    मुंबईः आपने एक कहावत तो सुना ही होगा कि, राजनीति में कोई किसी का न तो स्थाई दोस्त है और न ही दुश्मन। कुछ ऐसी ही कहानी इस समय महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की दिखाई दे रही है। कल तक जो शिवसेना पार्टी विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिंहा को समर्थन देने का मन बना रहे थें, अब उनका मन परिवर्तन हो गया है। अब शिवसेना उद्धव ठाकरे राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए (NDA) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का मन बना चके हैं।

    मीडिया की माने तो शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के विधायकों द्वारा बगावत के बाद उनके सासंद भी बगावत की दहलीज पर कदम रख दिएं हैं। कल मातोश्री में उद्धव ठाकरे के सासंद बैठक में 19 में 9 नही आए और जो आए भी वे राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को सपोर्ट करने को कहने लगें। ऐसे में शिवसेना प्रमुख मरता क्या न करता की कहावत को चरितार्थ करते हुए अपने मन को मारकर आख़िरकार एनडीए उम्मीदवार मुर्मू को वोट करने का मन बना ही लिया।

    उधर हर बार की तरह संजय राउत ने फिर से अपने मन की व्यथा को दबाते हुए कहा कि, मुर्मू को सपोर्ट करने का मतलब बीजेपी को सपोर्ट करना नही है। शिवसेना के सांसद संजय राउत विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में थें तो वहीं शिवसेना के कुछ सांसद द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे थे। राष्ट्रपति चुनाव में उद्धव ठाकरे का एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को सपोर्ट करने का फैसला संजय राउत को वाकई में चौकाने वाला साबित हुआ है।

    उधर सासंद संजय राउत ने पार्टी के इशारे को साधते हुए कहा, विपक्ष जिंदा रहना चाहिए। हमारे पास विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के प्रति भी सद्भावना है। पहले हमने प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था। एनडीए उम्मीदवार का नहीं। हमने प्रणब मुखर्जी का भी समर्थन किया। शिवसेना दबाव में फैसले नहीं लेती। हमने अपनी बैठक में द्रौपदी मुर्मू पर चर्चा की है।