pranab mukherjee

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    नई दिल्ली. भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Former President of India Pranab Mukherjee) की आज 86वीं जयंती (Pranab Mukherjee Birth Anniversary) है। वे भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 11 दिसंबर 1935 में हुआ था। भारतीय राजनीति के एक दिग्गज नेता मुखर्जी का पांच दशकों लंबा और प्रतिष्ठित राजनीतिक जीवन था। इस दौरान उन्होंने सरकार और उनकी पार्टी के लिए विभिन्न भूमिकाएं निभाईं। उन्हें ‘मैन फॉर ऑल सीजन्स’ के रूप में जाना जाता था। वह पांच बार राज्य सभा के सदस्य थे और लोकसभा में दो बार चुने गए थे।

    प्रणब मुखर्जी का जन्म पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गांव में एक ब्राह्मण परिवार हुआ था। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। प्रणब के पिता 1920 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और बीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे। उनके पिता एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के परिणामस्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी।

    बताया जाता है कि, प्रणब मुखर्जी बचपन से ही जिद्दी स्वभाव के थे। शुरुआती शिक्षा के दौरान उन्होंने अपनी जिद्द के चलते डबल प्रमोशन पाया। प्रणब के माता-पिता उनकी एडमिशन मिराती गांव में स्थित स्कूल के कक्षा दूसरी में करना चाहते थे, परंतु प्रणब ने स्कूल जाने से साफ इनकार कर दिया। प्रणब मुखर्जी चाहते थे कि, उनका एडमिशन किरनाहर स्थित स्कूल में हो लेकिन स्कूल 5वीं कक्षा से था। इस स्कूल में एडमिशन लेने के लिए उन्होंने परीक्षा दी और उसे पास भी करके दिखाया। जिसके बाद उन्हें कक्षा पांच में प्रवेश मिला।

    प्रणब मुखर्जी ने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की, जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था। कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की। वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी रह चुके हैं। उन्हें मानद डी.लिट उपाधि भी प्राप्त है। उन्होंने पहले एक कॉलेज प्राध्यापक के रूप में और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। साथ ही उन्होंने देशेर डाक में पत्रकार के तौर पर भी काम किया। वे बंगीय साहित्य परिषद के ट्रस्टी एवं अखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे।

    Indira Gandhi and Pranab Mukherjee

    मुखर्जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1967 में बांग्ला कांग्रेस की स्थापना के बाद की। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा गठबंधन बनाया। 1969 में वह पहली बार बांग्ला कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सदस्य बने। 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुखर्जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लाया क्योंकि बांग्ला कांग्रेस का सबसे पुरानी पार्टी में विलय हो गया था।

    मुखर्जी ने सरकार के वित्त में सुधार किया और भारत के पहले आईएमएफ लोन की अंतिम किस्त का भुगतान करने में मदद की। उन्हें 1984 में यूरोमनी पत्रिका द्वारा विश्व का सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री चुना गया था। वहीं उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए मनमोहन सिंह को भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया था।

    वहीं, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पार्टी में दरकिनार किए जाने के बाद मुखर्जी ने 1986 में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस की स्थापना की। तीन साल बाद RSC का कांग्रेस में विलय हो गया।

    मुखर्जी ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में रक्षा, वित्त और विदेश मामलों सहित कई महत्वपूर्ण विभागों को संभाला। उन्होंने 2005 और 2008 के बीच भारत-अमेरिका नुक्लेअर एग्रीमेंट की वार्ता का नेतृत्व किया। विदेश मंत्री के रूप में वह यूएस-भारत सिविल नुक्लेअर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने में सफल रहे।

    2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद मुखर्जी ने पाकिस्तान के खिलाफ विश्व जनमत जुटाने में सक्रिय भूमिका निभाई। भारत के राष्ट्रपति के रूप में मुखर्जी ने सात दया याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें अजमल कसाब और अफजल गुरु की दया याचिकाएं शामिल थीं।

    प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक राष्ट्रपति का कार्यकाल संभाला था। खास बात यह है कि डॉ फखरूद्दीन अली अहमद और ज्ञानी जैल सिंह के बाद प्रणब मुखर्जी तीसरे व्यक्ति हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति के उम्मीदवार रहते हुए वोट डाला था। वहीं, मुखर्जी को 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

    प्रणब मुखर्जी 2018 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले पहले पूर्व राष्ट्रपति बने, जहां उन्होंने समावेश के मूल्यों के बारे में बात की।

    मुखर्जी का 31 अगस्त 2020 को 84 वर्ष की आयु में ब्रेन सर्जरी के बाद निधन हो गया। वे COVID-19 से भी संक्रमित रहे थे।