Photo - Google Doodle
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    नई दिल्ली : गूगल ने डूडल (Google Doodle) के माध्यम से आज बालमणि अम्मा (Balmani Amma) को उनके 113वें जन्मदिन पर उनका  चित्र दर्शाकर उन्हें याद कर रहा है, लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर ये महिला (Lady) थी कौन? जिनके सम्मान पर आज गूगल ने डूडल के जरिए याद किया है, तो चलिए आज हम आपको बालमणि अम्मा के बारे में बताते है। बालमणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई, 1909 में त्रिषुर जिलें में स्थित पुन्नयुरकुलम में नालापत घर में हुआ था।

    दरअसल, बालमणि अम्मा एक भारतीय कवि (Indian Poet) थी। जिन्होंने मलयामल में अनेक साहित्यों की रचना की थी। बालमणि अम्मा को मलयालम साहित्य की दादी के नाम से भी जाना जाता है। बता दें, साल 1930 में महज 21 वर्ष की आयु में ही बालमणि अम्मा ने अपनी पहली कविता कोप्पुकाई शीर्षक से प्रकाशित की थी। जिसके बाद इनकी पहली कविता की रचना लोगों को इतनी पसंद आई की इनकी प्रशंसा बड़े-बड़े रचनाकार भी करने लगे और ये एक बेहद ही प्रतिभाशाली रचनाकार के रूप में जानी जाने लगी। 

    गौरतलब है कि उनकी पहली पहचान को चीन (China) साम्राज्य के पूर्व शासक परीक्षित थंपुरन से हुई, जिन्होंने उन्हें साहित्य निपुण पुरस्कार से भी सम्मानित किया। बता दें, बालमणि अम्मा अपने शुरूआती कविताओं में ज्यादातर मातृत्व पर लिखा करती थी। जिसकी वजह से ये ‘मातृत्व की कवयित्री’ के नाम से भी जानी जाने लगीं। यही नहीं, बल्कि बालमणि अम्मा ने अपने जीवन में कविता, गद्य और अनुवाद के 20 से अधिक संकलन प्रकाशित किए और उनकी सबसे प्रमुख साहित्य कृति में अम्मा (1934), मुथस्सी (1962) और मजुविंते कथा (1966) थी।