
नई दिल्ली: भारत सरकार (Center Government) ने यूएपीए कानून के तहत त्रिपुरा स्थित दो संगठनों और उसके सभी गुटों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (National Liberation Front of Tripura) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (All Tripura Tiger Force) को अब ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित कर दिया है। वहीं, विभिन्न विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने और देश की अखंडता एवं संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि एनएलएफटी और एटीटीएफ का मकसद इस उत्तर पूर्व राज्य के अन्य सशस्त्र अलगाववादी संगठनों के साथ मिलकर सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से त्रिपुरा को भारत से अलग करना और एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना करना और इस राज्य के मूल निवासियों को इस पृथक्करण के लिए भड़काना है।
Government of India declares the National Liberation Front of Tripura and All Tripura Tiger Force as 'unlawful associations' pic.twitter.com/8Wrt90kzCL
— ANI (@ANI) October 3, 2023
मंत्रालय के अनुसार केंद्र की राय है कि एनएलएफटी और एटीटीएफ विध्वंसक और हिंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं और इस तरह वे सरकार के अधिकारों की अवज्ञा करने एवं अपने उद्देश्यों को हासिल करने के लिए जनता के बीच आतंकवाद एवं हिंसा के प्रसार में शामिल रहे हैं।
उसने कहा कि दोनों संगठनों ने विगत दिनों में ऐसी हिंसक और गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया है जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए नुकसानदेह हैं। अधिसूचना में कहा गया कि ये समूह आम नागरिकों तथा पुलिस और सुरक्षा बलों के कर्मियों की हत्या में भी शामिल हैं और व्यापारियों, उद्यमियों समेत जनता से धन की वसूली में भी इनकी संलिप्तता रही है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार इन संगठनों पर प्रतिबंध पांच साल के लिए प्रभावी रहेगा। (भाषा इनपुट के साथ)