अमृतसर. जहाँ एक तरफ मोदी सरकार (Narendra Modi) द्वारा लाए गए विवास्पद कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ अनेक किसान अब भी आंदोलन (Protest) कर रहे हैं। वहीँ पंजाब से राहत देने वाली एक खबर के मुताबिक अब अमृतसर (Amrutsar) में किसानों ने रेल की पटरी से अपना धरना खत्म कर दिया है।
बात दें कि किसान अमृतसर के पास बीते 169 दिनों से पटरियों पर बैठकर अनेक किसान धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इससे बहुत दिनों से रेल सेवा प्रभावित थी। जिससे यहाँ के किसानों सहित व्यापारियों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा था।
Amritsar: Train services resume after farm union yesterday suspended 169-day long ‘dharna’ on tracks ahead of the wheat harvest season
“Dharna at Jandiala Guru Railway Station suspended for the time being, passenger trains operational now”, says Gurpreet Khera, Dy Commissioner pic.twitter.com/lLBXnZ16XJ
— ANI (@ANI) March 12, 2021
अब जब किसानों के धरना ख़त्म हो गया है तो यहाँ रेल सेवा फिर से शुरू हो गई है। अब अमृतसर से सीधे दिल्ली के लिए भी ट्रेनें चल सकेंगी। वहीं धरना ख़त्म होने के चलते अब यात्रियों के साथ-साथ रेलवे से जुड़े कई लोगों को भी राहत मिली है। गौरतलब है कि किसानों के इस धरना प्रदर्शन के चलते रेलवे द्वारा अमृतसर के लिए कुछ गाड़ियां तरनतारन के रास्ते से भी चलाई जा रही थीं।
किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे होने पर भारत बंद का आह्वान:
इस बीच एक अन्य खबर के अनुसार किसान संघों ने अब मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आगामी 26 मार्च को अपने आंदोलन के 4 महीने पूरे होने के मौके पर सम्पूर्ण भारत बंद का आह्वान भी किया है। वहीं किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल की मानें तो आगामी 26 मार्च से पहले यानी आगामी 15 मार्च को भी किसान और ट्रेड यूनियन मिलकर पेट्रोल-डीजल के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्धि और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ एक व्यापक प्रदर्शन करेंगे।
इस प्रदर्शन के दौरान तेल और गैस की बढ़ती कीमतों के खिलाफ अब जिलाधिकारियों को ज्ञापन दिए जाएंगे। वहीं निजीकरण के खिलाफ पूरे देश के रेलवे स्टेशनों पर एक साथ प्रदर्शन किए जाएंगे। इसके बाद आगामी 26 मार्च को किसान आंदोलन के 4 महीने पूरे होने के ख़ास मौके पर पूर्ण रूप से भारत बंद करने का फैसला भी लिया गया है। खबर है कि यह बंद पूरी तरीके से शांतिपूर्ण होगा जो सुबह से शाम तक प्रभावी रहेगा। यही नहीं, किसान नेताओं ने इसके बाद यानी आगामी 28 मार्च को होलिका दहन के दौरान नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का भी एक बड़ा निर्णय लिया हुआ है।