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    नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Union Health Minister Mansukh Mandaviya) ने मंगलवार को कहा कि विविध भूभागों वाला एक विशाल देश होने के नाते भारत (India) का अपना आपदा प्रतिक्रिया मॉडल (Disaster Response Model) हो सकता है, जिसका अन्य देश भी अनुकरण कर सकते हैं। मांडविया ने कहा कि भारत का मॉडल सर्वोत्तम वैश्विक तरीकों से सीख ले सकता है और जमीनी स्तर पर आपात स्थितियों से निपटने के वास्ते लचीला और चुस्त बनने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के परे जाकर काम कर सकता है।  

    उन्होंने ‘राष्ट्रीय आपात चिकित्सीय दल, भारत’ (एनईएमटी) की एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व की सबसे अच्छी प्रक्रियाओं से सीखना और एसओपी का पालन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन आइए हम साथ ही पिछले कुछ दशकों में हमारे देश में आपातकालीन और आपदा प्रतिक्रिया के उदाहरणों से सीखें और इनका अध्ययन कर अपने मॉडल को समृद्ध बनाएं।

    बहु-क्षेत्रीय और बहु-स्तरीय शिक्षा को शामिल करने की आवश्यकता 

    मांडविया ने कहा कि आपातकालीन प्रतिक्रिया एवं प्रबंधन के राष्ट्रीय ढांचे के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण मॉड्यूल में बहु-क्षेत्रीय और बहु-स्तरीय शिक्षा को शामिल करने की आवश्यकता है। एक बयान में बताया गया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य एनईएमटी पहल के सभी हितधारकों को पहल की नीति, रणनीति, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाना और आपात स्थितियों में स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुरूप आपदा प्रबंधन की तैयारी के लिए देश की जरूरतों को एकीकृत करने का एक खाका तैयार करना है। 

    तेजी से प्रतिक्रिया करने की जरुरत

    स्वास्थ्य आपात स्थितियों की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रियाएं ‘जी20 स्वास्थ्य निगरानी’ एजेंडे के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में शामिल हैं। केरल के तिरुवनंतपुरम में जी20 स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक के बाद हुई यह पहली बैठक है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य एजेंसियों, आपातकालीन सेवा प्रदाताओं, ट्रॉमा सेंटर आदि के बीच सहयोग के महत्व पर जोर दिया तथा फुर्ती एवं तेजी से और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उनके मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया। (एजेंसी)