नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा (Japan PM Fumio Kishida) के साथ व्यापक वार्ता के बाद कहा कि भारत-जापान वैश्विक साझेदारी साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून के शासन के प्रति सम्मान पर आधारित है और हिंद-प्रशांत में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देती है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने मुख्य तौर पर स्वच्छ ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और सैन्य साजोसामान के सह-विकास के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही चीन की बढ़ती सैन्य मुखरता के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के तरीके तलाशने पर जोर दिया।
अधिकारियों ने कहा कि वार्ता के दौरान मोदी ने किशिदा को बताया कि भारत और जापान के बीच बहुत मजबूत सहयोग के क्षेत्रों में से एक रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में सह-नवाचार, सह-डिजाइन व सह-निर्माण हो सकता है। मोदी और किशिदा ने जी20 की भारत की अध्यक्षता और जी7 समूह की जापान की अध्यक्षता में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया। किशिदा केवल 27 घंटे के लिए भारत आये थे।
किशिदा ने कहा कि उन्होंने मई में हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन में मोदी को आमंत्रित किया और प्रस्ताव तुरंत स्वीकार कर लिया गया। वार्ता के इतर दोनों पक्षों के बीच एक ‘नोट’ का आदान-प्रदान हुआ जो मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल के लिए 300 अरब येन (लगभग 18,000 करोड़ रुपये) के जापानी ऋण की चौथी किस्त के प्रावधान के संबंध में था। मोदी ने अपने मीडिया बयान में कहा, ‘‘भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी हमारे साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में कानून के शासन के प्रति सम्मान पर आधारित है।”
उन्होंने कहा, ‘‘इस साझेदारी को मजबूत करना न केवल हमारे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता को भी बढ़ावा देता है। आज की हमारी बातचीत में हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की।”
यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की सैन्य मुखरता को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच जापानी प्रधानमंत्री एक संक्षिप्त दौरे पर आज सुबह दिल्ली पहुंचे।
मोदी ने कहा कि उन्होंने और किशिदा ने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग, व्यापार, स्वास्थ्य और डिजिटल साझेदारी पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्व पर भी उपयोगी चर्चा हुई।
मोदी ने कहा, ‘‘पिछले साल, हमने अगले पांच वर्षों में भारत में पांच हजार अरब येन के जापानी निवेश का लक्ष्य रखा था, यानी 3,20,000 करोड़ रुपये। यह संतोष की बात है कि इस दिशा में अच्छी प्रगति हुई है।”
Spoke to PM @kishida230 on India's G20 Presidency and how our presidency will give voice to the views of the Global South. We also discussed ways to further peace, stability and prosperity in the Indo-Pacific.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 20, 2023
मोदी ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना पर “तेज” प्रगति हो रही है। मोदी ने कहा, ‘‘हमारी आज की बैठक एक और कारण से भी खास है। इस साल भारत जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और जापान जी7 की अध्यक्षता कर रहा है। और इसलिए, यह हमारी संबंधित प्राथमिकताओं और हितों पर एकसाथ काम करने का सही मौका है।”
उन्होंने किशिदा को भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए भारत की प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया। किशिदा ने अपनी टिप्पणी में कहा कि नयी दिल्ली के साथ तोक्यो का आर्थिक सहयोग तेजी से बढ़ रहा है और यह न केवल भारत के आगे विकास का समर्थन करेगा बल्कि जापान के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर भी उत्पन्न करेगा।
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि मोदी और किशिदा ने भारत-जापान संबंधों की गहराई के अनुरूप ठोस चर्चा की और इस वार्ता में रक्षा और सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी, जलवायु और ऊर्जा, दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान और कौशल विकास के क्षेत्रों में सहयोग शामिल हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या चीन की ओर से दोनों देशों के सामने आ रही चुनौतियों का वार्ता में मुद्दा उठा, क्वात्रा ने संकेत दिया कि बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई।
क्वात्रा ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने उन चुनौतियों के बारे में बात की जिनका हम क्षेत्र में सामना कर रहे हैं। साथ ही इस बारे में भी कि कैसे भारत और जापान और समान विचारधारा वाले अन्य देश उन चुनौतियों का समाधान करने के लिए एकसाथ काम कर सकते हैं और हिंद-प्रशांत के व्यापक विस्तार में सहयोग कर सकते हैं।”
क्वात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किशिदा को बताया कि भारत और जापान के बीच बहुत मजबूत सहयोग के क्षेत्रों में से एक सह-नवाचार, सह-डिजाइन, सह-निर्माण हो सकता है। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने जापानी समकक्ष को स्पष्ट कर दिया कि जब रक्षा के क्षेत्र में निजी निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की बात आती है तो भारत में दोनों क्षेत्र पूरी तरह से खुले हैं।
क्वात्रा ने कहा कि जापानी कंपनियां न केवल आमंत्रित हैं, बल्कि उन्हें भारतीय विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र में निहित अवसरों और लाभों का दोहन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल न केवल भारत के लिए बल्कि बाकी दुनिया के लिए भी है। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत सहित क्षेत्रीय महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की। (एजेंसी)