इंदिरा नूई: भारत की वह बेटी, जिसने कॉर्पोरेट वर्ल्ड में गाड़े झंडे

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    नई दिल्ली: सफल बिज़नेस वीमेन और फॉर्चून-500 में सबसे लंबे समय तक सीईओ रहकर टाइम और फ़ोर्ब्स में अपनी जगह बनाने वाली इंदिरा नूई (Indira Nooyi) को कौन नहीं जानता। इंदिरा का जन्म आज ही के दिन 28 अक्टूबर 1955 (Indira Nooyi Birthday) को तमिलनाडु राज्य (चेन्नई) में हुआ था। वह दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में भी अपना स्थान रखती हैं।

    जन्मदिन के इस मौके पर आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें और उनकी सफलताएं… 

    इंदिरा नूई को कई सारी पत्रिकाओं की प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया जा चुका है। भारत सरकार ने इंदिरा को साल 2007 में पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा था। इंदिरा को टाइम मैगजीन (TIME Magazine) में ‘दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची’ में 2007 और 2008 में जगह दी गई। 2014 में फोर्ब्स की विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में नूई को 13वां स्थान मिला था।

    साल 2015 में फॉर्च्यून ने सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में नूई को दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का स्थान दिया था। 2014 में फोर्ब्स की विश्व की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में नूई को 13वां स्थान मिला था। साल 2015 में फॉर्च्यून ने सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में नूई को दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का स्थान दिया था।

    इंदिरा नूई ने एक इंटरव्यू में एक किस्सा बताया था कि जिस दिन उनकी कंपनी पेप्सि‍को ने उन्हें सीईओ पद के लिए चुना था, उस दिन वो ये खुशखबरी अपनी मां को सुनाना चाहती थीं। लेकिन वह अपनी मां का जवाब सुनकर हैरान रह गई थी। दरअसल इंदिरा जब अपने घर आई तो अपनी मां से कहा, ‘मेरे पास आपको बताने के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है, मां ने कहा बाद में सुनाना पहले मुझे मार्केट से दूध लाकर दो’।

    इंटरव्यू में उन्होंने कहा था उनकी मां बेहद सख्त थी और उन्होंने इंदिरा को साफ कहा था कि, ‘पेप्स‍िको की प्रसीडेंट तुम ऑफिस में हो, लेकिन इस घर में पैर रखने के साथ ही तुम एक बीवी बन जाती हो, बेटी बन जाती हो, बहू बन जाती हो और मां बन जाती हो। ये सारे किरदार तुम्हारे ही हैं। ये पद कोई दूसरा नहीं ले सकता। इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम अपना प्रेसीडेंट का ताज वहीं ऑफिस में ही छोड़कर आया करो। इस घर में उसकी कोई जरूरत नहीं’।

    इंदिरा नूई ने चेन्नई के ब्राम्हण परिवार में जन्म से लेकर पेप्सिको के प्रेसीडेंट बनने तक अपने संघर्ष और महत्वपूर्ण पलों को उनकी बुक  ‘माय लाइफ इन फुल वर्क:फॅमिली एंड अवर फीचर’ (My Life in Full Work: Family and Our Feature) में बेहद अच्छी तरीके से सहेजा है।