New Parliament Building Inauguration

    Loading

    नयी दिल्ली: कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने रविवार को ट्विटर पर एक पत्र साझा करते हुए दावा किया कि उन्होंने 2009 में ‘प्रोजेक्ट चीता’ (Project Cheetah) की शुरुआत की और भारत में चीतों को लाने के लिए पिछली सरकारों के रचनात्मक प्रयास नहीं करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के आरोपों पर उन्हें ‘‘अविवेकपूर्ण झूठा” करार दिया।

    प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने शनिवार को पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा था कि सात दशक पहले देश से विलुप्त हो जाने के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किए गए। मोदी ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में नामीबिया से लाए गए आठ में से तीन चीतों को विशेष बाड़ों में छोड़ने के बाद की थी।

    रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘यह वो पत्र है, जिसके जरिए 2009 में ‘प्रोजेक्ट चीता’ शुरू किया गया था। हमारे प्रधानमंत्री अविवेकपूर्ण झूठे हैं। मैं कल इस पत्र को जारी नहीं कर सका क्योंकि मैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में व्यस्त था।”

    ट्वीट के साथ उन्होंने उस पत्र को साझा किया, जो उन्होंने तत्कालीन पर्यावरण और वन मंत्री के रूप में 2009 में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के एम. के. रंजीतसिंह को लिखा था। पत्र में रमेश ने रंजीतसिंह को चीतों के पुनर्वास के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने और उसमें पुनर्वास के लिये विभिन्न संभावित स्थलों का विस्तृत विश्लेषण शामिल करने को कहा था। रमेश की इस टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

    मोदी ने शनिवार को अपनी टिप्पणी में कहा था, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया, लेकिन दशकों तक उन्हें भारत में फिर से लाने के लिए कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किया गया। इस ‘अमृत काल’ के दौरान चीतों के पुनर्वास के लिए अब नयी ताकत और जोश के साथ, देश ने इस परियोजना को शुरू किया है।”

    कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़े जाने को एक ‘‘तमाशा” कहा था, जिसे उन्होंने राष्ट्रीय मुद्दों और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान भटकाने का एक और पैंतरा बताया था। रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ‘‘शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं” और चीता परियोजना इसका ताजा उदाहरण है। (एजेंसी)