JOSHIMATH
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    नई दिल्ली/जोशीमठ. सात जनवरी (भाषा) बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और अंतरराष्ट्रीय स्कीइंग स्थल औली जैसे प्रसिद्ध स्थलों का प्रवेश द्वार जोशीमठ अब आपदा के कगार पर शायद खत्म होने के मुहाने पर खड़ा है। आदि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि के रूप में जाना जाने वाला जोशीमठ धीरे-धीरे दरक रहा है और इसके घरों, सड़कों तथा खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई घर धंस गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले घरों में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल अन्यत्र भेजे जाने का आदेश दिया है।

    मंदिर गया ढह 

    जोशीमठ में शुक्रवार की शाम एक मंदिर के ढह जाने से वहां के निवासी चिंतित हैं, जो एक साल से अधिक समय से अपने-अपने घरों की बड़ी दरार वाली दीवारों के बीच लगातार भय के साए में जी रहे हैं। जोशीमठ नगर निकाय के पूर्व अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने कहा, ‘‘समस्या 14-15 महीने पहले गांधीनगर क्षेत्र में शुरू हुई और फिर सुनील, मनोहर बाग, सिंगधार तथा मारवाड़ी जैसे अन्य क्षेत्रों में फैल गई।” 

    उन्होंने कहा, ‘‘सुनील में सकलानी परिवार का घर ढह गया, लेकिन एक पखवाड़े पहले जब होटल माउंटेन व्यू और मलारी इन की दीवारों में बड़ी दरारें दिखाई दीं, तो खतरे की घंटी बजी, जिसके कारण इन होटलों को बंद करना पड़ा।” नगर निकाय के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि होटल के नीचे के घरों में रहने वाले पांच परिवारों को उसके बाद अपना घर खोना पड़ा। 

    लोग हैरान-परेशान, सामने बस ‘दो विकल्प’ 

    सती ने कहा, ‘‘भगवती प्रसाद कपरवान, दुर्गा प्रसाद कपरवान, मदन प्रसाद कपरवान और माधवी सती के घरों को भी भारी नुकसान पहुंचा है।” दीवारों और छत में पड़ी दरारों वाले कमरे में खड़ी संजना नामक लड़की ने कहा, ‘‘ये दरारें डेढ़ साल से दिख रही हैं।” जेपी वेंचर्स कंपनी के अधिकारी कर्नल टीएन थापा ने कहा कि कंपनी की 420 मेगावाट की विष्णुप्रयाग जल विद्युत परियोजना के कर्मचारियों की पॉश कॉलोनी विष्णुपुरम को तब पूरी तरह से खाली कराना पड़ा, जब तीन जनवरी को इसके ठीक बीच में बड़ी दरारें दिखाई दीं और कई घर गिर गए। 

    उन्होंने कहा कि कॉलोनी में रहने वाले लगभग 150 कर्मचारियों में से किसी को चोट नहीं आई, लेकिन कंपनी का गेस्ट हाउस और कैंटीन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा, ‘‘लोग बांस के खंभे की मदद से और रस्सी बांधकर अपने-अपने घरों को सहारा दे रहे हैं।” उन्होंने कहा कि जोशीमठ रणनीतिक, धार्मिक और पर्यटन महत्व का अंतिम सीमावर्ती शहर है जो भूकंपीय क्षेत्र-5 की श्रेणी में आता है, यानी अगर भूकंप आता है तो क्षेत्र में भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान होगा। 

    लोगों के सरकार पर आरोप,  

    स्थानीय लोगों का आरोप है कि NTPC के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की वजह से ही यह मुसीबत पैदा हुई है। जोशीमठ में होटल और ऑफिस, सब ढह से रहे हैं. यहां लोगों के पास दो ही विकल्प हैं- या तो अब अपना घर छोड़ दें या फिर अपनी जान खतरे में डालकर इलाके में रहें।

    सती ने चेतावती देते हुए निवासियों के तत्काल पुनर्वास की मांग की। मारवाड़ी क्षेत्र के पास जेपी कॉलोनी में दो दिन पहले अचानक पानी का बहाव तेज हो गया, जिससे लोग सहम गए। जोशीमठ के रविग्राम, गांधीनगर, मनोहरबाग, सिंघाधर वार्ड में भूस्खलन की सर्वाधिक घटनाएं देखी गई हैं।