नयी दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज एन.वी रमणा (N.V Ramana) देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे। दरअसल मौजूदा चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे (Justice S.A Bobde) ने कानून मंत्रालय को अपने उत्तराधिकारी के नाम की जानकारी चिट्ठी द्वारा दे दी है। बता दें कि जस्टिस एस. ए. बोबडे अगले महीने अप्रैल में रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में एक महीने पहले ही उन्होंने सरकार को जस्टिस रमणा का नाम अपनी तरफ से सुझा दिया है।
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस (CJI) एस।ए बोबडे के रिटायर होने में अब केवल एक महीने से भी कम समय ही शेष है। ऐसे में सरकार ने भी अपने तरफ से नये चीफ जस्टिस की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी के चलते CJI से अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी गई थी। इस सिफारिश पर आज स्वयं एस।ए बोबडे ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर एनवी रमणा के नाम की सिफारिश कर दी है।
Chief Justice of India (CJI) SA Bobde (file photo) sends a letter to Central government recommending to appoint senior most Supreme Court Judge Justice NV Ramana as the next CJI.
CJI SA Bobde is due to retire on April 23. pic.twitter.com/VfhkSOKL5z
— ANI (@ANI) March 24, 2021
बता दें कि केन्द्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने रिटायर होने जा रहे जस्टिस बोबडे को हाल ही में एक पत्र भेज कर उन्हें नये CJI के नाम की सिफारिश करने को कहा था। इस पात्र में रविशंकर प्रसाद ने जस्टिस बोबड़े से पूछा था कि उनके बाद उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में किसकी नियुक्ति होनी है? विदित हो कि जस्टिस बोबड़े आने वाले 23 अप्रैल को अपने पद से रिटायर होंगे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमणा अभी सबसे वरिष्ठ जज हैं। वहीं अब तक की परंपरा अनुसार, जस्टिस रमणा को ही देश के अगले CJI का पद ग्रहण करना था। इस के साथ ही इस परंपरा के मुताबिक, अपने रिटायरमेंट से करीब महीने भर पहले देश के सेवारत मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर करते हैं।
इसके बाद CJI की ओर से इस गोपनीय पत्र के मिलते ही सरकार सभी औपचारिकताएं पूरी कर सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज को चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति दे देती है और राष्ट्रपति उनको पद की शपथ दिलाते हैं। हालाँकि यह भी हकीकत है कि इतिहास में एक-दो बार ऐसा भी हुआ है कि किसी आसीन भारत सरकार ने दखल देकर वरिष्ठता क्रम का उल्लंघन कर किसी कनिष्ठ जज को चीफ जस्टिस के पद पर बिठाया है।