कल्पना चावला: भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री, जिसने स्पेस में बिताएं 360 घंटे

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    नई दिल्ली: आज पहिला महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का 60वां जन्मदिन है। भारत की इस महान बेटी का जन्म आज ही के दिन 17 मार्च 1962 को हुआ था। कल्पना चावला ने पूरी दुनिया में भारत का मान बढाया है। अंतरिक्ष यात्री बनकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयां नापने वाली कल्पना चावला ने अपनी उपलब्धियों से विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई। कल्पना चावला 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। इस उड़ान में उन्होंने 1.04 करोड़ मील सफर तय किया और पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं की। वहीं, उन्होंने 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। 

    कल्पना चावला का जन्म 

     कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962  हरियाणा के करनाल में हुआ था। उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम संजयोती है। कल्पना उनके घर में सबसे छोटी थीं, लेकिन उनके कामों की वजस से आज भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के दिलों में उन्होंने जगह बना ली है। कल्पना ही जन्म तिथि को लेकर भी एक अनोखी कहानी है। कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को हुआ था, लेकिन कागजों में उनकी जन्म  तारीख बदलकर 1 जुलाई 1961 की गई थी। जिसके पीछे का कारन यह था कि स्कूल में उनका दाखिला बिना किसी परेशानी के हो जाए।  

    एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में ली मास्टर्स डिग्री 

    कल्पना की शुरुआती पढ़ाई करनाल के टैगोर बाल निकेतन में हुई। जब वह आठवीं क्लास में थी तब उन्होंने अपने पिता से इंजिनियर बनने की इच्छा जाहिर की। कल्पना को बचपन से ही अंतरिक्ष और खगोलीय परिवर्तन में दिलचस्पी थी। कल्पना अक्सर अपने पिता से सवाल पूछा करती थीं कि ये अंतरिक्षयान आकाश में कैसे उड़ते हैं? क्या मैं भी उड़ सकती हूं? जिस पर उनके पिता हंसकर टाल दिया करते थे।

    कल्पना चावला ने बड़ी लगन से अपनी पढाई की और सपनों की उड़ान भरने के लिए वह 1982 में अमेरिका गईं। यहां उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री ली।  उनके पास सीप्लेन, मल्टि इंजन एयर प्लेन और ग्लाइडर के लिए कमर्शल पायलट लाइसेंस था। वह ग्लाइडर और एयरप्लेंस के लिए भी सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर भी थे। 

    पहली अंतरिक्ष यात्रा 

    वह भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थी। जो 1995 में नासा में अंतरिक्ष यात्री के तौर पर शामिल हुई और 1998 में उन्हें अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया। उन्होंने अंतरिक्ष में 16 दिन बिताए थे। कल्पना ने अपने पहले मिशन में 1.04 करोड़ मील सफर तय कर पृथ्वी की 252 परिक्रमाएं और 360 घंटे अंतरिक्ष में बिताए। मिशन पूरा होने के बाद 1 फरवरी 2003 को कल्पना चावला 6 अन्य साथियों के साथ धरती पर लौट रही थीं तो उनका यान क्षतिग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में कल्पना समेत सभी यात्रियों की मौत हो गई थी। 

    कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा आखरी साबित हो गई थी। उनका कहना था कि ‘मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं। हर पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए मरूंगी।’ जो उनके शब्द आखिरकार सच साबित हुए।