मध्यप्रदेश संकट: कल शाम पांच बजे बहुमत साबित करने का आदेश

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दे दिया हैं. जिसके अनुसार कमलनाथ सरकार को शुक्रवार शाम पांच बजे सदन के अंदर बहुमत साबित करना होगा.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर दायर याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दे दिया हैं. जिसके अनुसार कमलनाथ सरकार को शुक्रवार शाम पांच बजे सदन के अंदर बहुमत साबित करना होगा. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया. जिसके बाद पिछले दो हफ्ते से शुरू राजनितिक संकट अपने आखरी पड़ाव पर पहुँचते नज़र आरहा हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, " सरकार को कल शाम पांच बजे तक विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करना होगा. जिसमे हाथ उठाकर बहुमत साबित करना होगा. इस दौरन पूरी कार्यवाही की वीडियो ग्राफी भी कराई जाए."

बागी विधायकों पर बोलते हुए अदालत ने कहा, " सभी बागी विधायक स्वतंत्र है की उन्हें विधानसभा आना है की नहीं, अगर वह आना चाहते हैं तो कर्नाटक और मध्यप्रदेश के डीजीपी को उनसभी को सुरक्षा मुहैया करनी पड़ेगी." 

सत्यमेव जयते: शिवराज सिंह चौहान 
फ्लोर टेस्ट पर कोर्ट के निर्णय पर ख़ुशी जाहिर करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, " प्रदेश की करोड़ों करोड़ जनता की दुआएं और आशीर्वाद आज हमारे साथ है। कल फ्लोर टेस्ट में इस कांग्रेस की सरकार की पराजय होगी और नई सरकार बनने का रास्ता साफ होगा। हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का शीश झुकाकर स्वागत करते हैं। कल दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा."

सरकार पर निशाना साधते हुए चौहान ने कहा, " मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र का मज़ाक बना कर रख दिया था! वल्लभ भवन को दलालों के अड्डा बना दिया था. शराब माफिया, रेत और परिवहन माफिया हावी हो रहे थे. कानून और व्यवस्था की स्थिति चरमरा गई थी." उन्होंने कहा," अल्पमत की सरकार प्रदेश में नियुक्तियाँ और तबादले कर रही है। प्रशासनिक अराजकता की भी अति हो गई थी। आज ऐसे ही अन्याय की पराजय हुई है."

हम बहुमत साबित करने को तैयार: मंत्री जीतू पटवारी
कोर्ट के निर्देश पर बोलते हुए कमलनाथ सरकार में मंत्री जीतू पटवारी ने कहा," हम हमेशा तैयार थे. मुख्यमंत्री ने इसे स्वयं कहा है. यह जरूरी था कि जिन विधायकों का अपहरण किया गया था वे यहां मौजूद हों. विधानसभा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए बाध्य है. हम सुनिश्चित हैं और तैयार हैं."

गौरतलब है कि सिंधिया समर्थक 22 विधायकों और मंत्रियों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आगई थी. वहीँ 16 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष नर्मंदा प्रसाद प्रजापति ने कोरोना वायरस को मुद्दा बनाते हुए विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी थी जिसके विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ बहुमत परिक्षण नहीं कराने को लेकर याचिका दायर किया था.