Umar Khalid, PTI
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    नयी दिल्ली. छात्र नेता उमर खालिद को कथित तौर पर एक साल से ‘अन्यापूर्ण तरीके से कैद’ रखने के खिलाफ कई जानी-मानी हस्तियां सोमवार को एक साथ आईं और उसे रिहा करने की मांग की। पीएचडी की पढ़ाई कर रहे और संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ मुखर कार्यकर्ता के तौर पहचाने जाने वाले खालिद को 13 सितंबर 2020 को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने पूछताछ के लिए बुलाया था और उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।

    इसके बाद खालिद को कठोर गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम अथवा यूएपीए के तहत आरोपी बनाया गया। योजना आयोग की पूर्व सदस्य तथा महिला अधिकार कार्यकर्ता सैयदा हमीद, उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता प्रशांत भूषण, संसद सदस्य मनोज झा, पत्रकार सिद्धार्थ वर्धराजन ने यहां जनसभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि संदिग्ध सबूतों का इस्तेमाल खालिद जैसे प्रतिभाशाली युवाओं की आजादी छिनने के लिए किया जा रहा।

    हमीद ने कहा, ‘‘उसकी एकमात्र गलती संविधान को बनाए रखना और सीएएस, एनपीआर व एनआरसी का विरोध करना है।”

    वर्धराजन ने खालिद के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर सवाल उठाते हुए आरोप लगया कि, “सरकार दिल्ली दंगे के दोषियों को बचाने के लिए सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को अपराधी बना रही है।”

    भूषण ने आरोप लगाया कि यह साजिश की जांच नहीं है बल्कि दोषियों को बचाने के लिए बेगुनाहों को अभिरोपित करने की साजिश है। राजद सांसद झा ने कहा, ‘‘इस मुश्किल समय में आप नायकों को फिल्मों में बल्कि सलाखों के पीछे पाएंगे जो सरकार के खिलाफ बोलते हैं। जनसभा को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान, वरिष्ठ पत्रकार भारत भूषण और किसान नेता जसबीर कौर ने भी संबोधित किया।” (एजेंसी)