mig-21
Pic: Social Media

    Loading

    नई दिल्ली. दोपहर की एक बड़ी खबर के अनुसार राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर में क्रैश हुए मिग विमान (MIG-21 Crash) के बाद अब वायुसेना ने इन फाइटर प्लेन को रिटायर करने का एक बड़ा फैसला लिया है। वहीं मिली जानकारी के मुताबिक आगामी सितंबर तक MIG-21 एक स्क्वेड्रन हटा दिया जाएगा जबकि आने वाले 2023 तक सभी मिग विमानों को भारतीय वायुसेना बेड़े से हटा दिया जाएगा।

    गौरतलब है कि बीते गुरूवार को राजस्थान के बाड़मेर में भारतीय सेना का मिग-21 विमान क्रैश हो गया है। इस हादसे में दोनों पायलटों की मौत हो गई है। हालाँकि ये पहली बार नहीं है जब इस विमान से दुर्घटना हुई हो। वहीं एक आंकड़े के मुताबिक बीते छह दशकों में मिग-21 से जुड़ी हुई 400 से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 200 से अधिक जांबाज पायलटों की जान भी गई है।

    वहीं साल 2021 में सबसे ज्यादा हादसों का शिकार बना मिग-21 बाइसन, जो पांच दुर्घटनाओं में शामिल था। इन हादसों में तीन पायलटों की जान गई थी। इस विमान को भारतीय सेना के खेमे में 1960 दशक में शामिल किया गया था। 1971 के युद्ध में भारतीय वायु सेना में तीन साल पहले ही शामिल हुए पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 ने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर जमकर कहर बरपाया था। 

    पता हो कि, साल 1964 में MIG-12 लड़ाकू विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआत में ये जेट रूस में ही बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी। जिसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 1967 से इस मिले लाइसेंस के तहत MIG-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था।

    इस बेहतरीन विमान को भारतीय सेना के खेमे में 1960 दशक में शामिल किया गया था। फिर साल 1971 के युद्ध में भारतीय वायु सेना में 3 साल पहले ही शामिल हुए पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान MIG-21 ने पूर्वी और पश्चिमी मोर्चों पर जमकर कहर बरपाया था और दुश्मन सेना के दांत खट्टे किए थे।