फोटो: @ट्विटर
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    कोकराझार:  गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी () ने शनिवार को कोकराझार की अदालत में जमानत संबंधी लंबित औपचारिकताएं पूरी कीं और उम्मीद है कि वह गुवाहाटी जाने के बाद अपने गृह राज्य वापस लौटेंगे। मेवानी गुवाहाटी में कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करेंगे जिन्होंने उनकी रिहाई की मांगों का समर्थन किया था।

    गुजरात के निर्दलीय विधायक मेवानी ने औपचारिकताएं पूरी करने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि यह ‘‘शर्मनाक है कि पूज्य वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव की धरती पर उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए।” मेवानी को कोकराझार की एक अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक कथित ट्वीट से संबंधित एक मामले में सोमवार को जमानत दे दी थी। हालांकि इसके तुरंत बाद उन्हें एक महिला पुलिस अधिकारी के इस आरोप के आधार पर फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था कि उन्होंने तब उस पर हमला किया और छेड़छाड़ की जब पुलिस का एक दल उन्हें ले जा रहा था।

    बारपेटा जिला न्यायाधीश ने शुक्रवार को मेवानी को जमानत दे दी थी और कथित हमले के मामले में ‘‘झूठी प्राथमिकी” दर्ज करने के लिए असम पुलिस की खिंचाई की थी। इसके बाद मेवानी जमानत की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए आज सुबह कोकराझार आए थे। उन्होंने शहर छोड़ने के लिए अदालत की अनुमति भी ली, क्योंकि उनकी जमानत शर्तों में से एक अदालत के अधिकार क्षेत्र की सीमा के भीतर रहना भी शामिल था। उनके वकील ने कहा, ‘‘कोकराझार जमानत आदेश से जुड़ी सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं और मेवानी गुजरात रवाना होने से पहले गुवाहाटी जाएंगे।”

    मेवानी ने कहा, ‘‘यह मुझे परेशान करने के लिए एक साजिश थी और इस उद्देश्य के लिए एक महिला अधिकारी का इस्तेमाल करना उनकी कायरता को दर्शाता है और यह राज्य की संस्कृति के खिलाफ है।” 

    उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि उनकी गिरफ्तारी के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व का हाथ था। उन्होंने सवाल किया, ‘‘असम पुलिस अचानक मुझे क्यों गिरफ्तार करेगी, मामले दर्ज करेगी, हिरासत का अनुरोध करेगी, जमानत अर्जी का पुरजोर विरोध करेगी?” दलित नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें उनके राजनीतिक आकाओं से निर्देश मिले थे।” उन्होंने दावा किया, ‘‘यह भाजपा की साजिश है और निर्देश प्रधानमंत्री कार्यालय से असम सरकार को आए थे।”

    उन्होंने कहा कि गुजरात लौटने के बाद वह लोगों को बताएंगे कि कैसे झूठे मामलों में फंसाकर उन्हें परेशान किया गया। उन्होंने असम के लोगों, विशेष रूप से युवाओं, आदिवासियों, दलितों, मुसलमानों, अहोम और कांग्रेस पार्टी को उन्हें ‘मजबूत’ समर्थन प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया।

    जिग्नेश मेवानी को असम पुलिस ने 19 अप्रैल को गुजरात से पकड़ा था और पूर्वोत्तर राज्य लायी थी। असम पुलिस ने मेवानी के खिलाफ यह कार्रवाई उनके द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लेकर एक कथित ट्वीट किये जाने के बाद की थी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री मोदी ‘‘गोडसे को भगवान मानते हैं।”

    बनासकांठा की वडगाम सीट से विधायक मेवानी ने कांग्रेस के प्रति अपना समर्थन जताया है। ‘पीटीआई’ ने कोकराझार पुलिस थाने में जिग्नेश मेवानी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जानकारी हासिल की। प्राथमिकी के अनुसार मेवानी ने उक्त ट्वीट का इस्तेमाल मोदी से उनकी गुजरात यात्रा के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव की अपील के लिए भी किया था।

    ट्वीट को लेकर मामले में जमानत पर रिहा किये जाने के बाद गुजरात के दलित नेता को एक महिला पुलिसकर्मी पर हमले के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था जो उस पुलिस दल में शामिल थी जो मेवानी के साथ कोकराझार गई थी। हमले के मामले में एक शिकायत बारपेटा में दर्ज की गई।  बारपेटा अदालत के न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने हालांकि मेवानी को जमानत पर रिहा कर दिया था। (एजेंसी)