
मुंबई: ‘कर्नाटक सरकार अगर मराठी लोगों को परेशान करेगी, मराठी भाषा का गला घोंटने की कोशिश करेगी, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ ऐसी चेतावनी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने दी हैं। हाल ही में उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election) को लेकर एक बयान दिया है। उन्होंने कर्नाटक चुनाव की पृष्ठभूमि में वहां के मराठी मतदाताओं से भी अपील की।
राज ठाकरे ने कहा, ’10 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान किया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में मेरे मराठी मतदाता भाइयों और बहनों से मेरी अपील है कि एकजुट होकर मराठी उम्मीदवार को वोट दें। उम्मीदवार चाहे किसी भी पार्टी का हो, उसे मराठी होना चाहिए और निर्वाचित होने के बाद उसे मराठी भाषा के गला घोंटने और विधानसभा में सालों से मराठी लोगों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ बोलना चाहिए।’
राज ठाकरे (Raj Thackeray) ने अपील करते हुए कहा, ‘सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के पास 10 मई का दिन सही मौका है। अब कर्नाटक में मराठी विधायक ही चुने जाएं, इस बात की जिम्मेदारी वहां रहने वाले मराठी लोगों की हैं। यह आपके और बदले में मराठी भाषा के हित में है। इस अवसर को बर्बाद मत करो।’
कर्नाटक विधानसभेच्या निवडणुकांसाठी येत्या १० मे ला मतदान आहे. तिथल्या सीमाभागातील माझ्या मराठी मतदार बंधू-भगिनींना माझं आवाहन आहे की मतदान करताना एकजुटीने मराठी उमेदवारालाच मतदान करा. उमेदवार कुठल्या पक्षाचा का असेना तो मराठी असायला हवा, आणि त्याने निवडून आल्यावर मराठी भाषेची…
— Raj Thackeray (@RajThackeray) May 8, 2023
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा मानना है कि आपको अपने राज्य का, राज्य की भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। कई पीढ़ियों से सीमा क्षेत्र में रहने वाले भाइयों ने यहां की कन्नड़ भाषा और संस्कृति का सम्मान किया है। लेकिन अगर वहां की सरकार मराठी लोगों को परेशान करेगी, मराठी भाषा का गला घोंटने की कोशिश करेगी, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
राज ठाकरे ने आगे कहा, ‘कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा को लेकर विवाद शुरू हुआ था। उस दौरान मैंने कहा था कि, दोनों राज्य मूल रूप से समरूप हैं। महाराष्ट्र के कई लोगों के कुलदेवता कर्नाटक में है। तो, वहां के लोगों के कन्नड़ लोगों के भी महाराष्ट्र में कुलदेवता हैं। संक्षेप में, दोनों राज्यों के बीच संबंध मजबूत हैं।”
राज ठाकरे ने आगे कहा, “फिर अगर कर्नाटक सरकार वास्तव में एक सुलह का रुख अपनाती है, तो संघर्ष होगा ही नहीं। लेकिन वहां किसी भी दल की सरकार आ जाए, उनके व्यवहार में कोई अंतर नहीं आता। इसलिए विधान भवन में मराठी भाषी विधायक होने चाहिए, जो उस क्षेत्र की मराठी भाषा की पहचान का प्रतिनिधित्व करेंगे, मराठी लोगों के मुद्दों के लिए आवाज उठाने वाले लोग होने चाहिए।’