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    नयी दिल्ली. दोपहर की बड़ी खबर के अनुसार केंद्र की मोदी सरकार (Modi Goverment) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कहा है कि अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती और जंग छिड़ जाती है तो उस स्थिति में वह सीमा की सुरक्षा कैसे और किस तरह करेगी? वह लड़ेगी कैसे? इसके साथ ही मोदी सरकार ने कहा कि, चौड़ी चारधाम राजमार्ग परियोजना के निर्माण के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं। केंद्र ने ये भी कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है और ऐसे में विशेष रूप से शे सड़क निर्माण से ही सिर्फ ऐसा नहीं होता है।

    वहीं रणनीतक रूप से महत्वपूर्ण 12,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना (Chardham Project) का उद्देश्य उत्तराखंड (Uttrakhand) के चार पवित्र शहरों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में संपर्क के लिये तैयार करना है और साथ ही सेना को अच्छे मार्गों की उपलब्धता देना है।

    जानें क्या है मामला

    दरअसल न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने रक्षा मंत्रालय की एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। वहीं मंत्रालय ने सड़क चौड़ीकरण को लेकर न्यायालय के पहले के आदेश और एक गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की याचिका में संशोधन का अनुरोध किया है। इसके साथ ही न्यायालय ने उनसे क्षेत्र में भूस्खलन को कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों पर लिखित प्रस्तुतियां भी दर्ज कराने की बात कही है।

    मोदी सरकार की दलील

    इधर केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि, “ये बड़े ही दुर्गम इलाके हैं जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने-ले जाने की आवश्यकता होती है। हमारी ब्रह्मोस मिसाइल ही 42 फीट लंबी है और इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़े वाहनों की जरूरत है। अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा सकती है, और अगर युद्ध होता है तो वह युद्ध क्या ख़ाक लड़ेगी।’

    भगवान न करे अगर युद्ध छिड़ा तो…

    इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, “भगवान न करे अगर कभी युद्ध छिड़ गया तो सेना इससे निपटेगी कैसे, अगर उसके पास हथियार ही नहीं हैं। हमें अब और सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें अब पूरी तरह से तैयार रहना है। हमारे रक्षा मंत्री ने भारतीय सड़क कांग्रेस में भाग लिया था और कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की बहुत ज्यादा जरूरत है।’

    इसके  साथ ही वेणुगोपाल ने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आकृति विज्ञान और मानव गतिविधियों सहित उपयुक्त अध्ययन किए गए हैं और ढलान स्थिरीकरण, वनीकरण, वैज्ञानिक कचरा निस्तारण जैसे ज़रूरी कदम भी उठाए गए हैं।