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    नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) ने सोमवार को मोदी सरकार (Modi Government) की महत्वाकांक्षी योजना नेशनल मॉनीटनाइज़ेशन पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) को लॉन्च कर दिया। सरकार की इस योजना से बीना किसी सरकारी संपत्ति को बेंचे या उसका निजीकरण किए चार साल में यानी 2025 तक छह लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। 

    क्या है National Monetisation Pipeline योजना?

    2021 के आम बजट में वित्तमंत्री ने इस योजना की घोषणा की थी।  इस योजना का मकसद सरकार की उन संपत्ति से पैसे जुटाने का है, जिससे कम कमाई हो रही है या वह बेकार पड़ी है या फिर उनका सही से उपयोग नहीं हो रहा है। 

    किन-किन मंत्रालाओं को जोड़ा गया 

    सरकार ने एमएनपी के तहत प्रमुख मंत्रालयों को जोड़ा है। जिसमें सड़क, परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन और प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, शिपिंग बंदरगाह और जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय शामिल है। 

    जहाजरानी मंत्रालय की 12,828 करोड़ संपत्ति का मौद्रिकरण

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को घोषित छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) के तहत अगले चार वर्षों में 12,828 करोड़ रुपये की जहाजरानी संपत्ति का मौद्रिकरण किया जाएगा। जहाजरानी संपत्ति मौद्रिकरण परियोजनाओं को बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा और इसके लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का इस्तेमाल किया जा सकता है

    ऐसे रखा गया है लक्ष्य

    अनुक्रमक  मंत्रालय कमाई (रुपये में)
    1 पावर ट्रांसमिशन 45,200 करोड़
    2 पावर जनरेशन 39,832 करोड़
    3 प्राकृतिक गैस पाइपलाइन 24,462 करोड़
    4 प्रोडक्ट पाइपलाइन 22,504 करोड़
    5 शहरी रियल एस्टेट 15,000 करोड़
    6 दूरसंचार  35,100 करोड़
    7 वेयरहाउसिंग  28,900 करोड़
    8 खनन 28,747 करोड़
    9 उड्डयन 20,782 करोड़ (25 एयरपोर्ट्स के जरिए)
    10 बंदरगाह  12,828 करोड़
    11 स्टेडियम 11,450 करोड़