नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने टेरर फंडिंग मामले में प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक (Yasin Malik) के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख (Delhi High Court) किया है। बता दें कि ट्रायल कोर्ट ने पिछले साल मालिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
National Investigation Agency (NIA) moves Delhi High Court seeking death penalty for Yasin Malik (chief of the banned Jammu and Kashmir Liberation Front) in terror funding case. Trial Court sentenced him to life imprisonment last year
— ANI (@ANI) May 26, 2023
उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक पर सीबीआई के दो हाई प्रोफाइल मामले में जम्मू में मुकदमा चल रहा है। मलिक रुबैया सईद के अपहरण का मामला और 25 जनवरी 1990 को 4 वायुसेना के अधिकारियों की हत्या के मामले में यासीन आरोपी है। यासीन मलिक का नाम पूर्व में कश्मीर में हिंसा की तमाम साजिशों में शामिल रहा है। इसके अलावा उसे 1990 में कश्मीरी पंडितों के पलायन के प्रमुख जिम्मेदार के रूप में जाना जाता है।
एजेंसी की याचिका को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ के समक्ष 29 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। यहां की एक निचली अदालत ने 24 मई, 2022 को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मृत्युदंड के लिए एनआईए के अनुरोध को खारिज करते हुए निचली अदालत ने कहा था कि मलिक का उद्देश्य भारत से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना था।
निचली अदालत ने कहा था, ‘‘इन अपराधों का उद्देश्य भारत पर प्रहार करना और भारत संघ से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना था। अपराध अधिक गंभीर हो जाता है क्योंकि यह विदेशी शक्तियों और आतंकवादियों की सहायता से किया गया था। अपराध की गंभीरता इस तथ्य से और बढ़ जाती है कि यह एक कथित शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन की आड़ में किया गया था।” अदालत ने कहा था कि मामला ‘‘दुर्लभतम” नहीं है, जिसमें मृत्युदंड की सजा दी जाए।