Joshimath Case Moves Supreme Court
पीटीआई फोटो

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    नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव का (Joshimath Sinking) मामले को लेकर ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है। उन्होंने इस मामले को लेकर शनिवार को अपने वकील के माध्यम से शीर्ष अदालत में एक जनहित याचिका दाखिल की है। वहीं, कोर्ट से इस मामले को लेकर सोमवार (09 जनवरी) को सुनवाई कर सकता है। यह जानकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती के मीडिया प्रभारी डॉक्टर शैलेन्द्र योगी उर्फ योगीराज सरकार ने दी है। 

    राहत पहुंचाने और पुनर्वास की मांग 

    स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव पर चिंता जाहिर की है। वहीं, उन्होंने कहा कि, ज्योतिर्मठ भी इसकी चपेट में आ रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से भू-धंसाव से प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने की मांग की है।

    उन्होंने कहा कि, पिछले एक वर्ष से जमीन धंसने के संकेत मिल रहे थे। लेकिन समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इसकी अनदेखी होते रही, जिसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। जमीन धंसने को लेकर अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को सही कारण का पता लगाना चाहिए।

     500 से अधिक मकान प्रभावित

    महाराज ने यह भी कहा कि जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना बेहद चिंताजनक है। ऐतिहासिक एवं पौराणिक सांस्कृतिक नगर जोशीमठ खतरे में हैं। एक सप्ताह से जमीन धंसने से 500 से अधिक मकान प्रभावित हुए हैं। मकानों में दरारें आ गई हैं। 

    मीडिया चॅनेल एबीपी से बात करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के वकील पीएन मिश्रा ने को बताया, “याचिका में तपोवन-विष्णुगाड विद्युत परियोजना के तहत बनाई जा रही सुरंग का मसला प्रमुखता से उठाया गया है। इसी सुरंग को वर्तमान स्थिति के लिए ज़िम्मेदार माना जा रहा है। याचिका में विद्युत परियोजना समेत दूसरे सभी विकास कार्यों की विशेषज्ञों से समीक्षा करवाने की भी मांग की गई है। यह भी कहा गया है कि भूस्खलन के लिए ज़िम्मेदार कारणों का पता लगाया जाए।”

    केंद्र, राज्य समेत इन्हे बनाया पक्षकार 

    याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में तस्वीरों की मदद से यह दिखाने की कोशिश की है कि जोशीमठ किस तरह विनाश के कगार पर खड़ा है। अदालत में दायर पीआईएल में यह भी बताया गया है कि, अभीतक इस घटना से 500 से ज़्यादा मकानों में दरार आ गई है। वहीं, लगातार कई इलाकों में ऐसी ही स्थिति बनती जा रही है। जनित याचिका में केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (NDMA), नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC), बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन (BRO) और चमोली के जिलाधिकारी को पक्ष बनाया गया है।