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नई दिल्ली/पालघर. जहां एक तरफ महाराष्ट्र (Maharashtra) में इस समय गर्मी और लू का भयंकर कहर चल रहा है। वहीं इस भयंकर गर्मी के चलते अब राज्य में पानी और सूखे की किल्लत बढती दिख रही है। ऐसे में अब राज्य के अनेकों गांवों में लोगों को अब इस गर्मी और लू के बीच भयंकर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। वैसे तो गर्मियों की शुरुआत होते ही देश के अलग-अलग हिस्सों से पानी की किल्लत की तस्वीरें अब आनी शुरू हो गई हैं। लेकिन इसमें महाराष्ट्र राज्य की स्थिति थोड़ी ज्यादा ख़राब दिख रही है।

इसी क्रम में अब महाराष्ट्र के पालघर (Palghar) में भी पानी की किल्लतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां महिलाएं दूर-दराज के कुओं में जाकर पानी लानी को मजबूर है। हालांकि इन परेशानियों को अगर थोड़ी बहुत समझबूझ से सामना किया जाए तो यह सुलझ भी जाती हैं। ऐसी ही पालघर के 14 साल के प्रणव ने कर दिखाया जब उसने अपने घर में ही कुआँ खोदा है, ताकि उसकी मां को पानी के लिए भटकना न पडे।

मां के लिए 14 साल के मासूम ने खोदा तालाब 

जी हां, महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक आदिवासी लड़के ने अपनी मां की परेशानी को दूर करने के लिए जिस तरह से संघर्ष करके कामयाबी हासिल की है, वह बहुत ही प्रेरणादायक भी है। 14 साल के प्रणव रमेश सालकर को यह बात हमेशा परेशान करती थी कि उसकी मां को रोज नदी से जाकर पानी लाना पड़ता है। उसने संकल्प लिया और अपनी झोपड़ी के पास ही एक कुआं खोद डाला।

दरअसल  घर के लिए पानी लाने के लिए अपनी मां को हर दिन धूप में टहलते देख परेशान होकर 14 साल के प्रणव सालकर ने अपने पिता की मदद से अपने सामने के अहाते में एक कुआं खोदा। परिवार केल्वे के पास धवंगे पाड़ा में रहता है। प्रणव के माता-पिता दर्शना और विनायक सालकर मजदूरी करते हैं।इस छोटे से प्रणव ने अपने संकल्प को अपने घर के आंगन में ही पूरा करना शुरू किया। उसके पास सिर्फ एक फावड़ा, बेलचा और एक छोटी सी सीढ़ी थी।

गर्मी में भी पूरे दिन खोदता रहा ‘वह’, कुआं

अब प्रणव की यह मेहनत रंग लाई और उसके खोदे हुए कुएं से पानी निकलना शुरू हुआ तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 20 फीट की बावड़ी को बेहतर स्वरूप देने में उसके पिता ने भी उसकी मदद की है। अब उनके परिवार के लिए यह गर्व का कुआं बन चुका है। घटन पर मासूम प्रणव का कहना है, ‘मुझे अच्छा नहीं लगता था कि मेरी मां को पास के नाले से पानी लाने के लिए जाना पड़ता है। उसे रोज सुबह खाना बनाने और घर के दूसरे कामों से पहले बाल्टियों में पानी भरकर लाना पड़ता था।’ रमेश सब्जी के खेतों में मजदूरी करते हैं। प्रणव उनके चार बच्चों में सबसे छोटा है।

प्रणव सालकर के इस भगीरथ प्रयास को देखकर जिला परिषद के अधिकारियों ने सम्मानित किया और उसके सराहनीय काम के लिए उसे 11,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया है। आज प्रणब को सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि देशभर में ‘श्रवणबाल’ के रूप में पहचाना जाता है।