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    नई दिल्ली: राज्यसभा की कार्यवाही निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। सुबह 11 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक अखबार की खबर का हवाला देकर अयोध्या से संबंधित एक मुद्दा उठाने की कोशिश की।

    खड़गे ने कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है लिहाजा उन्हें उठाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर सभापति ने खड़गे से कहा कि मुद्दे को उठाने के लिए उन्हें नोटिस देना चाहिए था। इसके बाद उन्होंने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र आज पूरा हो रहा है। इस सत्र में कामकाज के दौरान उत्पन्न किए गए व्यवधान पर अप्रसन्नता जताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह सदन अपनी क्षमता के अनुरूप काम नहीं कर सका। मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि सामूहिक रूप से आप इसका अवलोकन करें कि क्या यह सत्र और बेहतर हो सकता था?”

    उन्होंने सदस्यों से कहा कि सत्र के दौरान जो कुछ भी हुआ, उसका एहसास उन्हें होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी को देश हित में रचनात्मक और सकारात्मक माहौल में काम करना चाहिए। सदन में मर्यादा, अनुशासन, शालीनता बनाए रखकर चर्चा की जानी चाहिए।” इसके बाद राष्ट्रगीत ‘‘वंदे मातरम” की धुन बजाई गई और फिर सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ था और यह 23 दिसंबर को समाप्त होना था। लेकिन एक दिन पहले ही उच्च सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।  

    ज्ञात हो कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण” करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। इनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

    विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर हंगामा करता रहा जबकि सरकार अड़ी रही कि जब तक निलंबित सदस्य माफी नहीं मांगेंगे तब तक उनका निलंबन रद्द नहीं किया जाएगा। इसी वजह से सदन में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना रहा और कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है। नायडू और उपसभापति हरिवंश ने सरकार और विपक्षी दलों से बार-बार आग्रह किया था कि वह आपस में चर्चा कर गतिरोध दूर करें लेकिन इसके बावजूद बात नहीं बन सकी।  

    सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को भी उठाया और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग को लेकर हंगामा किया। एक दिन पहले निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान भी हंगामा हुआ और उस वक्त ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए सदन में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था। (एजेंसी)