PM Modi
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    टोक्यो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने जापानी भाषा के एक अग्रणी अखबार में सोमवार को प्रकाशित एक लेख में कहा कि भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंगे, जहां सुरक्षित समुद्र हो, व्यापार तथा निवेश की अनुकूलताएं हों, जहां संप्रभुत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो और जो अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता हो। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर क्वाड नेताओं की शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर तोक्यो पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘योमियुरी शिम्बुन’ अखबार में भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर एक लेख लिखा है। 

    प्रधानमंत्री के लेख का शीर्षक ‘भारत-जापान : शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए एक साझेदारी’ है जिसमें उन्होंने लिखा है ‘‘सामरिक रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित दो लोकतंत्र होने के नाते हम स्थिर एवं सुरक्षित क्षेत्र के अहम स्तंभ हो सकते हैं। इसलिए हमारी साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों तक बढ़ रही है। हमारे रक्षा संबंध अभ्यासों तथा सूचना के आदान-प्रदान से रक्षा विनिर्माण तक तेजी से बढ़ रहे हैं। हम साइबर, अंतरिक्ष और अंतर-समुद्री क्षेत्रों में काफी कुछ कर रहे हैं।” 

    प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों के बीच कहा कि भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंगे, जहां सुरक्षित समुद्र हो, व्यापार तथा निवेश की अनुकूलताएं हों, जहां संप्रभुत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो और जो अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता हो। उल्लेखनीय है कि चीन के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद हैं। 

    चीनी सरकार विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताती है जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर अपना दावा जताते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। उसका पूर्वी चीन सागर को लेकर जापान के साथ भी विवाद चल रहा है। 

    मोदी ने कहा, ‘‘क्षेत्र में तथा उसके अलावा क्वाड जैसे संस्थानों में एक जैसी विचारधारा वाले साझेदारों के साथ मिलकर हम सुरक्षा के अलावा विकास, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, निरंतरता, स्वास्थ्य, टीकों, क्षमता निर्माण और मानवीय आपदा प्रतिक्रिया के लिए कई कदमों को बढ़ावा दे रहे हैं।” उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए अहम होगा। 

    मोदी ने कहा, ‘‘विशेष, रणनीतिक, वैश्विक…. भारत-जापान साझेदारी को परिभाषित करने वाले इन तीन शब्दों में से प्रत्येक का विशेष महत्व है, हालांकि ये हमारे संबंधों की असल क्षमता को बयां करने के लिए कम हैं।” उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर एक लेख लिखा है। हमारी साझेदारी शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए है। मैं 70 गौरवशाली वर्ष पूरे करने वाली हमारी विशेष मित्रता की जड़ें खोज रहा हूं।” 

    मोदी ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया में भारत-जापान के बीच करीबी सहयोग अहम है। हमारे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों स्थिर एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत के अहम स्तंभ हैं। मुझे खुशी है कि हम विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भी निकटता से काम कर रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था तब से ही जापान के लोगों के साथ नियमित रूप से संवाद करने का अवसर मिलता रहा है। जापान की विकासात्मक प्रवृत्ति हमेशा ही प्रशंसनीय रही है। 

    जापान बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेष, स्टार्ट-अप समेत कई अहम क्षेत्रों में भारत के साथ भागीदारी कर रहा है।” उन्होंने लेख में लिखा है कि सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध, लोकतंत्र, आजादी और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में दृढ़ साझा विश्वास रखते हें। साथ ही क्षेत्रीय एवं वैश्विक दृष्टिकोण में अभिसरण, विश्वस्त तथा स्वाभाविक साझेदारी भारत और जापान के बीच संबंधों का आधार हैं। 

    उन्होंने कहा कि बोधिसेन से लेकर स्वामी विवेकानंद तक भारत-जापान के सांस्कृतिक संबंधों का परस्पर सम्मान का लंबा एवं समृद्ध इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की कीमती निजी संपत्तियों में तीन बुद्धिमान वानरों मिजारू, किकाजारू और इवाजारू की छोटी प्रतिमाएं भी शामिल हैं। मोदी ने कहा कि न्यायाधीश राधा बिनोद पाल जापान में जाना-पहचाना नाम हैं और जापान के लिए गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रशंसा तथा ओकाकुरा तेनशिन के साथ बातचीत दोनों देशों के कलाकारों और बुद्धिजीवियों के बीच बहुत पहले संबंधों के निर्माण में अहम रहे हैं। 

    उन्होंने कहा, ‘‘इन गहरे संबंधों ने एक आधुनिक भारत-जापान साझेदारी की मजबूत नींव रखी जो औपचारिक कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर भी फल-फूल रही है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साझेदारी के लिए उनका खुद का विश्वास भी तब ही शुरु हो गया था जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा कि जापान भारत के विकास तथा आधुनिकीकरण के सफर में कीमती साझेदार भी साबित हुआ है। ऑटोमोबाइल से लेकर औद्योगिक गलियारों तक जापानी निवेश और विकासात्मक सहयोग के पूरे भारत में पदचिह्न हैं। 

    उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना नए भारत के निर्माण में कुछ महत्वपूर्ण प्रयासों में जापान की वृहद भागीदारी का संकेत देती है। मोदी ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर संबंधों ने आपसी समझ को गहरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। कई भारतीय जापान में काम कर रहे हैं और जापानी अर्थव्यवस्था एवं समाज में योगदान दे रहे हैं जैसे कि जापानी कार्यकारी भारत में आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं। 

    उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी, वैश्विक तनाव और हिंद-प्रशांत में स्थिरता एवं सुरक्षा की बाधा उत्पन्न करने वाली चुनौतियों ने मजबूत आपूर्ति श्रृंखला, मानव केंद्रित विकास मॉडल और स्थिर एवं मजबूत अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय साझेदारी से इन लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।

    प्रधानमंत्री मोदी जापान के अपने समकक्ष फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर तोक्यो पहुंचे हैं। वह क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जिसका मकसद प्रभावशाली समूह के सदस्य देशों के बीच सहयोग मजबूत करना और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रमों पर चर्चा करना है। (एजेंसी)