
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ने के विधेयक को मोदी कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख अससुद्दीन ओवैसी ने इसका विरोध किया है। ओवैसी ने कहा कि, “सरकार गली के अंकल जैसा व्यवहार कर रही है।”
प्रधानमंत्री चुन सकते हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते
ओवैसी ने कई सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए कहा, “मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र बढ़ाकर 21 करने का फैसला किया है। यह विशिष्ट पितृसत्ता है जिसकी हम सरकार से उम्मीद करते आए हैं। 18 साल के पुरुष और महिला अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, प्रधान मंत्री चुन सकते हैं और सांसदों और विधायकों का चुनाव कर सकते हैं लेकिन शादी नहीं कर सकते हैं?”
उन्होंने कहा, “वे यौन संबंधों और लिव-इन पार्टनरशिप के लिए सहमति दे सकते हैं लेकिन अपने जीवन साथी का चयन नहीं कर सकते हैं? बस हास्यास्पद।”
हैदराबाद सांसद ने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण चीजों के लिए पुरुषों और महिलाओं को 18 साल की उम्र में वयस्कों के रूप में माना जाता है। शादी अलग क्यों है? कानूनी उम्र वास्तव में कोई मापदंड नहीं है; शिक्षा, आर्थिक प्रगति और मानव विकास सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक लक्ष्य होना चाहिए।”
लड़कियां करेंगी आवारगी
लड़कियों की उम्र बढ़ाने के फैसले पर समाजवादी पार्टी सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा, “लड़कियों की उम्र बढ़ जाएगी तो वह आवारगी करने लगेगी।” बर्क ने कहा, “भारत एक गरीब देश है और हर कोई कम उम्र में अपनी बेटी की शादी करना चाहता है… मैं संसद में इस विधेयक का समर्थन नहीं करूंगा।”
वहीं बयान पर विवाद बढ़ने पर सपा सांसद ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, “मैंने “अवारगी” शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। मैंने कहा कि स्थिति अनुकूल नहीं है।”
अखिलेश यादव ने बयान से झाला पल्ला
एक ओर जहां समाजवादी सांसद विधेयक का विरोध हैं। वहीं दूसरी तरफ पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव अपने नेताओं के बयान से किनारा कर लिया हैं। यादव ने कहा, “ऐसे किसी भी बयान से समाजवादी पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। समाजवादी पार्टी एक प्रगतिशील पार्टी है और उसने लड़कियों और महिलाओं की प्रगति के लिए योजनाएं शुरू की हैं।”