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    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने Devas-Antrix डील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सोमवार 17 जनवरी को सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कंपनी के मान्यता रद्द पर रोक लगाने वाली याचिका को ख़ारिज कर दी है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस पर हमला बोला है। वित्त मंत्री ने कांग्रेस को स्कैम का मास्टरमाइंड बताते हुए तत्कालीन कैबिनेट को गुमराह करने का आरोप लगाया है। 

    न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम ने देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, देवास मल्टीमीडिया को एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़े के मकसद से ही बनाया गया था। 

    यह सौदा पूरी तरह धोखा धड़ी का

    केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “SC ने दिया व्यापक आदेश यूपीए ने 2011 में यह सौदा रद्द कर दिया था। यह एक धोखाधड़ी का सौदा था।” उन्होंने आगे कहा,  “2005 में यूपीए सरकार के दौरान एंट्रिक्स ने देवास के साथ समझौता किया था। यह एक धोखाधड़ी का सौदा था। यूपीए सरकार ने 2011 में रद्द कर दी थी यह डील।”

    सीतारमण ने कहा, “2011 में, जब पूरी बात रद्द कर दी गई, देवास अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में चले गए, भारत सरकार ने कभी मध्यस्थ नियुक्त नहीं किया, 21 दिनों के भीतर मध्यस्थ नियुक्त करने के लिए याद दिलाया गया, लेकिन सरकार ने नियुक्त नहीं किया।”

    यह कांग्रेस के लिए और कांग्रेस का धोखा 

    कांग्रेस पर हमला बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा, “इसमें मास्टर गेम के खिलाड़ी हैं कांग्रेस और सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से हम देख सकते हैं कि… अब कांग्रेस की बारी है कि कैबिनेट को अंधेरे में कैसे रखा जाए। उन्हें क्रोनी कैपिटलिज्म के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं होना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “यह कांग्रेस के लिए, कांग्रेस के लिए और कांग्रेस द्वारा धोखा है।”

    वित्त मंत्री ने कहा, “प्राइमरी वेवलेंथ, सैटेलाइट या स्पेक्ट्रम बैंड की बिक्री करके इसे निजी पार्टियों को देना और निजी पार्टियों से पैसा कमाना कांग्रेस सरकार की विशेषता रही है। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पता चलता है कि कैसे यूपीए सरकार ग़लत कामों में लिप्त थी। एंट्रिक्स-देवास सौदा राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ था। अब कांग्रेस पार्टी की बताना चाहिए कि भारत के लोगों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी कैसे की गई।”

    क्या है Devas-Antrix डील स्कैम?

    देवास मल्टीमीडिया और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन के बीच साल 2005 में सैटेलाइट सेवा से जुड़ी एक डील हुई थी। कुछ दिनों बाद पता चला की यह डील सैटेलाइट का इस्तेमाल कर मोबाइल पर बातचीत किया जा सकता था। देवास मल्टीमीडिया उस वक्त एक स्टार्टअप था तो 2004 में ही बना था। इसे इसरो के ही पूर्व साइंटिफिक सेक्रेटरी एमडी चंद्रशेखर ने बनाया था। बाद में जांच में पता चला था कि इस डील और सैटेलाइट का इस्तेमाल करने  के लिए  सरकार की इजाजत नहीं ली थी। जिसके बाद 2011 में फर्जीवाड़े के आरोपों को चलते रद्द कर दिया गया।

    देवास-एंट्रिक्स डील को लेकर कई सवाल उठाने लगे हैं।  पहला सवाल तो यही उठ रहा है कि आखिर देवास मल्टीमीडिया के साथ पूरी जांच परख किए बिना ही डील क्यों की गई? आखिर इस डील में इसरो के प्रोडक्ट्स के बाहरी दुनिया के लिए मुहैया कराने वाली सरकार के मालिकाना हक की कंपनी एंट्रिक्स कॉरपोरेशन थी, ऐसे में पूरी जांच होनी चाहिए थी। एक दूसरा सवाल ये भी है कि आखिर जब देवास के फर्जीवाड़े का पता चला और डील रद्द की गई, तभी सरकार देवास के खिलाफ एनसीएलटी में क्यों नहीं गई? 2015 में जब सीबीआई से जांच कराई गई तो मामले का पर्दाफाश हुआ।