Supreme Court
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    नई दिल्ली: केंद्र सरकार के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट  (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित (judgment reserved) रखा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसला सुरक्षित। नोटबंदी (demonetisation) को चुनौती देने वाली याचिकाओं (petitions) के बाद एक बार फिर से  500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। 

    उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को बुधवार को निर्देश दिया कि वे सरकार के 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें। न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र के 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनीं और अपना फैसला सुरक्षित रखा।  

    बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान एक बयान दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को उन व्यक्तियों द्वारा किए गए वास्तविक आवेदनों पर विचार करना चाहिए, जो पुराने करेंसी नोटों को बदलवाने की समय सीमा से चूक गए हैं।

    वहीं सरकार का कहना है कि नोटबंदी को रिजर्व बैक कानून 1934 के नियमों के तहत लागू किया गया था। सरकार का कहना है कि छह साल बाद याचिकाओं पर विचार करना एक शैक्षणिक कवायद है। इसका कोई मतलब नहीं रह गया है। फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं अपना फैसला सुरक्षित रखा है।  

    गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह साल पहले 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया था। इसके बाद उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 के नोट चलन भारत में बैन हो गया और ये चलन से बाहर कर दिए गए थे। इसके बाद से ही देश भर में रूपये को लेकर लोग बैंक के बाहर लाइन में लगे। इसको लेकर काफी विवाद शुरू हुआ था। नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार कई बार सवालों के घेरे में आई।