Supreme Court
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (central government) को बड़ा झटका दिया है। करंट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) के तहत पूर्व सैन्य कर्मियों को बकाये का भुगतान करने के संबंध में केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को स्वीकार करने से सोमवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud), न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कह कि हमें उच्चतम न्यायालय में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है। यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय दिए जाने की बुनियादी प्रक्रिया के विपरीत है।  

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए। यह आदेशों को अमल में लाने को लेकर है। इसमें गोपनीय क्या हो सकता है। उच्चतम न्यायालय ओआरओपी बकाये के भुगतान को लेकर ‘इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट’ (IESM) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है।

कोर्ट ने OROP के बकाये का चार किश्तों में भुगतान करने का ‘‘एकतरफा” फैसला करने के लिए 13 मार्च को सरकार की खिंचाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 30 अप्रैल 2023 तक वन रैंक वन पेंशन योजना के तहत योग्य पारिवारिक पेंशनरों और सशस्त्र बलों के वीरता विजेताओं को 30 जून 2023 तक 70 वर्ष से अधिक के योग्य पेंशनरों और शेष पात्र पेंशनरों को समान किस्तों में या उससे पहले बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया।