uddhav thackeray and devendra fadnavis
उद्धव ठाकरे-देवेन्द्र फड़नवीस (फाइल फोटो)

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    मुंबईः महाराष्ट्र में शिवसेना (ShivSena) भले ही सत्ता से बेदखल हो गई हो लेकिन उसकी बैचेनी और बढती ही जा रही है। इस बार शिवसेना का मुखपत्र सामना में शिवसेना ने महाराष्ट्र के पूर्वमुख्यमंत्री से उपमुख्यमंत्री बने बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अटल बिहारी वाजपेयी के कविता के सहारे सामना में लिखा है कि, डिप्टी सीएम बनने वाले अचानक सीएम बन गए तथा हम सीएम बनेंगे, ऐसा लगने वाले को डिप्टी सीएम पद स्वीकार करना पड़ा।

    कविता “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता” के माध्यम से देवेंद्र पर लिखा, इस ‘क्लाइमेक्स’ पर टिप्पणी, समीक्षा, परीक्षण की भरमार होने के समय ‘बड़ा मन’ एवं ‘पार्टी के प्रति निष्ठा का पालन’ ऐसा एक बचाव सामने आया। फडणवीस ने मन बड़ा करके सीएम की जगह उपमुख्यमंत्री के पद को ग्रहण किया। लेकिन बीजेपी में सबकुछ अच्छा नही है, इसके संकेत साफ-साफ दिखाई दे रहा है।

    आपको बता दें की सामना में आगे लिखा गया है कि, महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण करने के लिए जो सियासी नौटंकी कराई जा रही है, उस नौटंकी के अभी और कितने भाग बाकी हैं, इस बारे में कोई भी दृढ़तापूर्वक कुछ नहीं कह सकता। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता को छापा है, ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता, हिमालय की चोटी पर पहुंच, एवरेस्ट विजय की पताका फहरा, कोई विजेता यदि ईर्ष्या से दग्ध, अपने साथी से विश्वासघात करे तो, उसका अपराध क्या इसलिए क्षमा योग्य हो जाएगा कि, वह एवरेस्ट की ऊंचाई पर हुआ था? नहीं बिलकुल नहीं, परिस्थिति कुछ भी हो कभी भी अपराध अपराध ही होता है।

    सामना में आगे लिखा, ‘मन’ और ‘अपराध’ की व्याख्या व्यक्त करने वाले वाजपेयी युग का उनकी विचारधारा देश की सियासत से कब की अस्त हो चुकी है। काले को सफेद एवं सफेद को काला बनाने वाला नया युग अब यहां प्रकट हुआ है। निशाना साधते हुए कहा गया कि, शिवसेना में बगावत कराकर महाराष्ट्र की सत्ता काबिज करना, यही इस ड्रामे का मुख्य उद्देश्य था।

    सत्ता पर काबिज होने और शिवसेना को तोड़ने के लिए प्लान के अनुसार इसके पात्रों ने अपना-अपना किरदार बखूबी से निभाया है। इस पुरे स्क्रिप्ट में अलग-अलग प्रयोग पेश किए गए, जिसमें  सूरत, गुवाहाटी, सर्वोच्च न्यायालय, गोवा, राजभवन होते हुए अंतिम में मंत्रालय तक पहुंचते हुए स्क्रिप्ट कहानी लिखी गई।

    इसके अलावा शिवसेना नेता व सासंद संजय राउत ने मीडिया से कहा कि, मुझे भी गुवाहाटी जाने का प्रस्ताव मिला था लेकिन मैं बालासाहेब ठाकरे का अनुसरण करता हूं इसलिए मैं वहां नहीं गया। जब सच्चाई आपके पक्ष में है, तो डर क्यों है?