नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) आज 75 साल की हो गई हैं। उनका जन्म 9 दिसंबर 1946 को इटली (Italy) में हुआ था। देश की सबसे पुरानी पार्टी, कांग्रेस (Congress) के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष (Congress President) रहने वालीं सोनिया गांधी भारत की राजनीति (Indian Politics) में अलग ही रसूख रखती हैं। उन्होंने 20 वर्षों तक कांग्रेस का नेतृत्व किया। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के इस्तीफा देने के बाद वह 2019 में कांग्रेस के अंतरिम प्रमुख के रूप में वापस कांग्रेस की कमान संभाल रही हैं।
सोनिया गांधी को पहली बार 1999 में अमेठी संसदीय क्षेत्र से एमपी बनी थीं। इसके बाद वह लोकसभा में विपक्ष की नेता भी बनीं। 2004 के आम चुनावों के दौरान उन्होंने अपनी पार्टी के चुनावी अभियान का नेतृत्व किया जिसने सबसे अधिक सीटें हासिल की थीं।
सोनिया गांधी का जन्म इटली में हुआ था। स्थानीय स्कूलों में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए कैब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। ब्रिटेन में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई थी जिनसे बाद में उनकी शादी हुई। 1981 में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि, सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कुर्सी संभालने से तब इंकार कर दिया था। हालांकि 1998 में पार्टी की नेता बनीं।
दरअसल, सोनिया गांधी ने 1997 तक राजनीति से दूरी बनाए रखी थी। पति राजीव गांधी की हत्या के छह साल बाद सोनिया गांधी ने पार्टी से उठ रहीं मांगों को मान लिया और 1997 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं। इसके बाद उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई चुनावों में सालों तक बेहद अच्छा प्रदर्शन किया।
वर्ष 1998 में उन्हें पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। उन्होंने 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को जीत की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाई। सोनिया गांधी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय भी दिया जाता है। वह 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में कांग्रेस के गढ़ रायबरेली से लोकसभा के लिए चुनी गईं।
साल 2004 में उनके एक बड़े फैसले ने सभी को चौंका दिया था। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री के पद को अस्वीकार करने का फैसला किया और उन्होंने इसके लिए मनमोहन सिंह को नामित किया। उनके कुछ समर्थकों ने इसे बलिदान बताया तो कुछ ने राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक बताया था। हालांकि राजनीतिक जानकार मानते हैं कि, भले ही वह प्रधानमंत्री नहीं थीं लेकिन वह देश की सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थीं।
सोनिया गांधी ने दिसंबर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पद छोड़ दिया था लेकिन 2019 में अपने बेटे और सांसद राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद इस पद की कमान संभाली। उन्होंने भारत सरकार में कभी कोई सार्वजनिक पद नहीं संभाला, उन्हें व्यापक रूप से देश के सबसे शक्तिशाली राजनेताओं में से एक के रूप में माना जाता है। सोनिया गांधी को विश्व की लोकप्रिय टाइम और फोर्ब्स जैसी पत्रिकाओं द्वारा दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में सूचीबद्ध किया जा चुका है।