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    न्यूयॉर्क, 16 सितंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के 71वें जन्मदिन के मौके पर ‘जयपुर फुट यूएसए’ ने गुजरात के दिव्यांगों के लिए मुफ्त कृत्रिम अंग (प्रोसथेटिक फीटमेंट) प्रदान करने के लिए एक ऑनलाइन कार्यक्रम में ‘एक मोबाइल वैन’ (Mobile Van) सेवा की शुरुआत को मंजूरी दी। प्रख्यात भारतीय योग गुरु एवं स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान (एसवीवायएएसए) के कुलपति डॉ. एचआर नागेंद्र और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के मुख्य संरक्षक एवं बीएमवीएसएस के संस्थापक पदम भूषण डीआर मेहता वीर ने ऑनलाइन एक कार्यक्रम में ‘मोबाइल वैन’ सेवा की शुरुआत को हरी झंडी दिखाई। मेहता ने कहा ‘‘ हम 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 71वें जन्मदिन के खास मौके पर यह पहल शुरू कर रहे हैं।”

    ‘बीएमवीएसएस’ (जयपुर) के आठ योग्य ‘प्रोस्थेटिक्स’ पेशेवरों के साथ मोबाइल वैन, अपने पहले गंतव्य के रूप में मोदी के पैतृक निवास वडनगर के लिए रवाना होगी। उन्होंने वैश्विक महामारी के बीच दिव्यांगों की मदद करने में ‘मोबाइल वैन’ के महत्व पर प्रकाश डाला। यह वैन अन्य जिलों और शहरों में भी जाएगी। नागेंद्र ने ‘फिटमेंट कैंप’ (कृत्रिम पैर के मुहैया कराने के शिविरों) के जरूरतमंदों के घर तक पहुंचाने के दृष्टिकोण भी सराहना की।

    उन्होंने कहा कि बेंगलुरु में भी एक कृत्रिम अंग शिविर का आयोजन किया जा सकता है और कर्नाटक में दिव्यांगों को साल भर सहायता प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में एक स्थायी केन्द्र भी स्थापित किया जा सकता है। ‘जयपुर फुट यूएसए’ के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने समाज के निम्नतम आर्थिक तबके के लोगों को कृत्रिम अंग मुहैया कराने की जयपुर फुट यूएसए और बीएमवीएसएस की ‘मोबाइल वैन’ पहल को ‘‘अद्वितीय और प्रगतिशील” प्रयास करार दिया।

    प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, मोबाइल वैन एक दिन में 7-10 लोगों को कृत्रिम अंग लगाने की मशीनों से लैस होंगी। भंडारी ने बताया कि इस अभियान के हिस्से के रूप में, बीएमवीएसएस कम से कम 71 दिव्यांगों की मदद करने को प्रतिबद्ध है, जो इस साल मोदी के 71वें जन्मदिन को मनाने के लिए एक प्रतीकात्मक संख्या है। प्रधानमंत्री मोदी के बड़े भाई सोमाभाई मोदी वडनगर में ‘सर्वोदय सेवा ट्रस्ट’ में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘मोबाइल वैन’ शिविर का उद्घाटन करेंगे। ‘मोबाइल वैन’ बनाने का विचार न्यूयॉर्क के युवा निखिल मेहता का था।