‘हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष बाबू के योगदान को नहीं भूल सकते लेकिन…’ बोले अमित शाह

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    पोर्ट ब्लेयर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने सोमवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) को भुला देने के बहुत प्रयास किए गए लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार ने उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए अण्डमान में एक स्मारक स्थापित करने जैसे कई कदम उठाए हैं।  शाह नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती मनाने के लिए यहां के दौरे पर हैं।

    अंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सभागार में एक सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा, ‘‘हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष बाबू के योगदान को नहीं भूल सकते, परंतु दुर्भाग्य से उन्हें भुलाने के बहुत प्रयास किए गए।” उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसा होने नहीं देंगे और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में की गईं पहल उनके प्रति भारत की कृतज्ञता का संकेत है।”

    शाह ने कहा कि वीर लोग अपनी स्मृति के लिए किसी के मोहताज नहीं होते और वह स्मृति उनकी वीरता के साथ जुड़ी हुई होती है। उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आज कर्तव्य पथ पर सम्मान के साथ देश के गौरव सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाने का काम किया गया है। आज के दिन को पराक्रम दिवस घोषित किया गया और आज ही के दिन इस सुभाष द्वीप को सुभाष चंद्र बोस के स्मारक के रूप में घोषित कर विकसित किया जा रहा है ताकि पीढ़ियों तक लोग सुभाष चंद्र बोस को नतमस्तक होकर श्रद्धांजलि दे सकें।”

    शाह ने कहा कि आज का दिन भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले पूरे विश्व में किसी भी अन्य देश ने राष्ट्र के लिए लड़ने वाले जवानों के नाम पर द्वीपों का नाम रखकर उनकी वीरता को सम्मानित करने का कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज प्रधानमंत्री का हमारे परमवीर चक्र विजेताओं की स्मृति को पृथ्वी पर चिरकाल तक बनाए रखने का यह प्रयास तीनों सेनाओं के लिए बहुत उत्साहवर्धक है।”

    केंद्रीय गृह मंत्री ने अण्डमान की भूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि कई बार किसी भूमि में इस प्रकार का तत्व होता है कि वह बार-बार सबका ध्यान आकर्षित करती है। उन्होंने कहा, ‘‘यहां की सेल्यूलर जेल आजादी की लड़ाई का बहुत बड़ा तीर्थ स्थान है और नेताजी द्वारा आजाद हिंद फौज के प्रयासों से देश को आजाद कराने की कोशिशों में सर्वप्रथम इस हिस्से को स्वतंत्रता प्राप्त करने का सम्मान मिला और नेताजी ने इसी द्वीप पर पहली बार तिरंगा फहराया। ”

    शाह ने कहा कि मोदी की अगुवाई वाली सरकार बनने के बाद 2015 से सेना के लिए बहुत सारे कदम उठाए गए हैं, जिनमें ‘वन रैंक वन पेंशन’ का मसला हल किया जाना, सेना के प्रशासनिक ढांचे में ऐतिहासिक परिवर्तन किया जाना, सेना व पूरे रक्षा तंत्र को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाना तथा आधुनिक हथियारों व आधुनिक संचार व्यवस्था से तीनों सेनाओं को लैस करना शामिल है।