Pegasus Case
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    नई दिल्ली: पेगासस स्पाइवेयर जासूसी कांड (Pegasus Spyware) से कथित तौर पर प्रभावित केवल दो व्यक्तियों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा गठित तकनीकी समिति को अपना फोन सौंपे हैं, जिसके कारण समिति को समय-सीमा बढ़ानी पड़ी है, ताकि और भी लोग उसके समीप पहुंचें। 

    तकनीकी समिति ने अब यह समय सीमा आठ फरवरी कर दी है, ताकि वैसे और भी लोग समिति से सम्पर्क कर सकें, यदि उन्हें संदेह है कि उनके फोन में पेगासस स्पाइवेयर का हमला हुआ है।  यह निर्णय पेगासस स्पाइवेयर मामले में हालिया आरोपों के बीच लिया गया है। न्यूयार्क टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इजरायल के साथ दो अरब डॉलर के रक्षा सौदों के हिस्से के तौर पर पेगासस स्पाइवेयर लिया था। 

    तकनीकी समिति की ओर से बृहस्पतिवार को प्रमुख समाचार पत्रों में जारी सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि उसकी पहली अपील के दौरान केवल दो व्यक्तियों ने अपने मोबाइल फोन समिति को सौंपे हैं ताकि उसकी डिजिटल छवि ली जा सके।

    नोटिस में कहा गया है, ‘‘इसलिए तकनीकी समिति एक बार फिर उन सभी से आठ फरवरी तक समिति से सम्पर्क का अनुरोध करती है जिनके पास यह मानने का पर्याप्त कारण मौजूद है कि उनके मोबाइल फोन पेगासस स्पाइवेयर से प्रभावित हैं।” पिछले माह जारी नोटिस में सात जनवरी, 2022 तक की समय सीमा निर्धारित की गयी है।