सुरजेवाला ने सीबीआई, ईडी के निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के अध्यादेशों को न्यायालय में चुनौती दी

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    नयी दिल्ली: कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल दो साल से पांच साल तक बढ़ाने संबंधी अध्यादेशों को बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। सरकार ने पिछले रविवार को दो अध्यादेश जारी किए जिनमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।

    कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुरजेवाला ने शीर्ष अदालत ने अंतरिम राहत की मांग की और आरोप लगाया कि ये अध्यादेश ऐसी संस्थाओं की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर आए अदालती आदेशों का भी उल्लंघन हैं और ये सत्ता के स्पष्ट दुरुपयोग का भी खुलासा करते हैं।

    उन्होंने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा, ‘‘अध्यादेशों के संदर्भ में ‘जनहित’ को लेकर जो अस्पष्ट हवाला दिया गया है उसका कोई आधार नहीं बताया गया है। असल में यह प्रतिवादियों की आत्मसंतुष्टि पर आधारित है। इसका संबंधित जांच संस्थाओं की स्वतंत्रता पर स्पष्ट रूप से विपरीत असर होगा।”

    सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि इस तरह से अस्थायी रूप से और थोड़ी-थोड़ी अवधि के लिए सेवा विस्तार देने से जांच एजेंसियों पर कार्यपालिका के नियंत्रण की अभिपुष्टि होती है और यह एजेंसियों के स्वतंत्र रूप से कामकाज करने के भी प्रतिकूल है। 

    कांग्रेस नेता ने कहा कि सीबीआई और ईडी के निदेशकों का दो साल का निर्धारित कार्यकाल होता है, लेकिन अब उन्हें एक-एक साल का सेवा-विस्तार दिया जा सकेगा और यह एकमुश्त पांच साल का कार्यकाल नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘इसका मतलब यह होगा कि हर सेवा विस्तार नियुक्ति करने वाले प्राधिकार के विवेक और आत्मसंतुष्टि पर निर्भर करेगा।”

    सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने इस अदालत की ओर से कार्यकाल तय करने एवं सेवा विस्तार को लेकर दिए गए निर्देशों, तय किए गए एवं बार-बार दोहराए गए सिद्धांतों को दरकिनार किया है। उन्होंने कहा कि संसद का शीतकालीन सत्र आरंभ होने से 15 दिन पहले ये अध्यादेश जारी करने का कोई ठोस कारण नहीं है।

    कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ईडी के निदेशक की सेवानिवृत्ति से तीन दिन पहले आनन-फानन में अध्यादेश लाने के पीछे सिर्फ यही मंशा है कि इस निदेशक का कार्यकाल बढ़ाए जाए जो 17 नवंबर, 2021 को खत्म हो रहा था। यह पूरी तरह से सत्ता का दुरुपयोग है।” उन्होंने यह भी कहा कि ये अध्यादेश इन जांच एजेंसियों के निदेशकों पर केंद्र का पूरी तरह नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास हैं।

    सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि यह अनुच्छेद 14 के तहत सरकार के किसी कदम में निरंकुशता के खिलाफ मिली संवैधानिक गारंटी का भी हनन है। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा ने भी केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इन दो अध्यादेशों के खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। इन अध्यादेशों को लाने के कुछ दिन बाद सरकार ने बुधवार को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2022 तक बढ़ा दिया।